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गणगौर का पर्व महिलाएं पूरे साज-सज्जा के साथ इस मनाती है।
गणगौर का पर्व महिलाएं पूरे साज-सज्जा के साथ इस मनाती है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। मां गौरी की पूजा कर पति की लंबी उम्र और घर की सुख-शांति के लिए कामना करती है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है। सोलह श्रृंगार वह सभी चीजें जो एक सुहागन को पूरा करती है। अधिकतम महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनती है, जो उन पर बहुत अच्छी लगती है। गण अर्थात शिव जी और गौर अर्थात पार्वती जी।
तो आइए जानते हैं 16 श्रृंगार की सभी चीजें जिसे महिलाएं पहनकर गणगौर की पूजा करती है वह क्या है-
1. मांग टिका- साज-सज्जा की तैयारी मांग टिके से होती है। जी हां, मांग टिका इसलिए भी लगाया जाता है क्योंकि यह पति के लगाए गए सिंदूर की रक्षा करता है। यह सुहागनों का प्रतीक होता है।
2. बिंदिया- बिंदिया महिलाओं के सुहागनों का प्रतीक है। अपनी दोनों भौंहो के बीच महिलाएं जब लाल कलर की बिंदी लगाती है उनमें अलग ही ऊर्जा का संचार होता है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी बिंदी अच्छी मानी जाती है। यह आपके ध्यान को केंद्रीत करने में मदद करती है।
3. काजल- आंखों के सूनेपन को सहारा देता है काजल। अगर आप जब हिरण की आंखों में देखेंगे तब ऐसा प्रतीत होगा जैसे हिरण ने भी आंखों में काजल लगा रखा है। इसलिए महिलाओं की आंखों के भी तुलना हिरण की आंखों से की गई है।
4. नथ- इसे अलग-अलग तरह से पहना जाता है। कोई कील या कांटे के रूप पहनता है तो कोई गोल नथनी के रूप में। हालांकि यह किसी भी तरह से पहनी जाएं महिलाओं की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।
5. सिंदूर- सिंदूर दो जीवनसाथी का प्रतीक होता है। एक चुटकी सिंदूर 7 जन्मों तक के लिए एक परिणय में बांध देती है। सिंदूर तो महिलाओं के सिर का ताज होता है।
6. मंगलसूत्र- अगर देखा जाए तो शब्द मंगलसूत्र ही उसका अर्थ बयां कर रहा है। जी हां, मंगल अर्थात शुभ और सूत्र अर्थात धागा। इसे स्त्री को कभी भी अपने गले से अलग नहीं करना चाहिए ना ही गला सूना छोड़ना चाहिए। यह तो सुहागन का प्रतीक माना जाता है।
7. बाली- कानों में पहनने वाली बाली महिलाओं की सुंदरता को बढ़ा देते हैं। इसे पहनने के बाद उनके चेहरे पर अलग ही चमक आ जाती है।
8. मेहंदी- कोई भी प्रोग्राम हो तो वह मेहंदी के बिना अधूरा है। मेहंदी लगाकर अक्सर महिलाएं उस रंग से तुलना करती है कि उनके पति उन्हें कितना प्यार करते हैं। जी हां, साथ ही यह भी कहा जाता है कि मेहंदी के बिना एक दुल्हन अधूरी होती है।
9. चूड़ियां- महिलाओं के श्रृंगार का सबसे अहम हिस्सा है। अक्सर महिलाओं के हाथ की चूड़ी की खनक सूनी जगह में जान डाल देती है। जी हां, इसलिए स्त्री के साथ चूड़ी का भी इतना ही महत्व है।
10. गजरा- बालों की सुंदरता को बढ़ाता है और इसकी महक एक-दूसरे को करीब लाती है। इसका महत्व और अधिक हो जाता है जब पति अपने हाथों से इसे अपनी पत्नी के बालों में लगाता है।
11. बाजूबंद- कोहनी से ऊपर इसे पहना जाता है। यह महिलाओं की खूबसूरती में हीरे का काम करता है। जैसे एक अंगूठी में हीरा लगाने मात्रभर से उसकी चमक बढ़ जाती है।
12. अगूंठी- यह एक रिश्ते को नाम देने के लिए सबसे पहले पहनाई जाती है। दाएं हाथ की अनामिका अंगुली में इसे पहनाया जाता है। कहते हैं यह अंगुली सीधे दिल से जुड़ी होती है। इसलिए इस हाथ में इसे पहनाया जाता है।
13. कमरबंद- महिलाएं हर परिधान के साथ कुछ अलग पहनती है। कमरबंद साड़ी या लहंगे साथ पहना जाता है। इसे पहनने के बाद महिलाएं और सुंदर लगती है।
14. पायल- यह होती है आंगन की चहल-पहल। यह पायल छोटी उम्र में अपने घर की आवाज बनती है और शादी के बाद अपने ससुराल की खनक। जी हां, जब अगर घर पूरा सूनसान होता है तब यह पायल ही होती है जो जान फूंकती है। ताकि किसी और की आवाज हो या नहीं लेकिन यह सभी को जगाती है।
15. बिछियां- साज-सज्जा का सबसे आखिरी छोर बिछिया है। इसे हर सुहागन पहनती है। अक्सर महिलाएं चांदी की बिछिया ही पहनती है। जी हां, कहते है यह बिछिया चांद के समान होती है जो आपको शीतलता प्रदान करती है।
16. वस्त्र- इस दिन महिलाएं लाल रंग के वस्त्र पहनना ही पसंद करती है। लाल रंग के कई रूप है। यह कभी शक्ति का प्रदर्शन करता है, तो कभी क्रोध को दर्शाता है। हालांकि इस दिन महिलाएं इसे सुहागन के रूप में पहनती है।
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