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बिपरजॉय’ के बीच ‘बर्थजॉय’: ‘तूफ़ानी’ कुदरत की गोद में गूंजीं 709 किलकारियाँ
गांधीनगर: ‘आंधी में दीप जले’ और ‘विनाश के बीच सृजन’ जैसे कई वाक्य हमने सुने होंगे, लेकिन गुजरात में ‘बिपरजॉय’ चक्रवात के दौरान सुख देने वाले ये वाक्य सार्थक और साकार भी होते देखे गए।
जी हाँ, पूरा गुजरात गत 5 जून से एक अज्ञात भय से काँप रहा था और यह भय पिछले एक सप्ताह से अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचा हुआ था। कारण था अरब सागर में उठा चक्रवात ‘बिपरजॉय’। इस चक्रवात ने गुजरात तट से टकराने में 10-11 दिन लगा दिए। हालाँकि लगातार बदलती दिशा और गति के बावजूद गुजरात सरकार दिन-प्रतिदिन मुस्तैद होती गई और अंतत: सरकार ने अंतिम पाँच दिनों में संभावित चक्रवात से निपटने की सारी तैयारी कर ली, जिसका ध्येय था ‘ज़ीरो कैज़ुअल्टी’।
गुजरात पर ‘बिपरजॉय’ चक्रवात के मंडराने और उसके ख़तरे बनने की स्थिति जब पैदा हुई, तो गांधीनगर से लेकर नई दिल्ली तक केन्द्र एवं राज्य स्तर पर चक्रवात से निपटने पर गहन मंथन शुरू हो गया। एक ओर जहाँ गुजरात में मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल पूरी तरह ज़मीन पर सक्रिय थे, वहीं दूसरी ओर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह भी अलर्ट हो गए। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने गुजरात को इस संभावित संकट से बचाने के लिए एक के बाद एक बैठकों का दौर शुरू किया। नई दिल्ली से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कॉन्फ़्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल के सीधे सम्पर्क में थे, वहीं गृह मंत्री श्री अमित शाह भी लगातार सक्रियता से संकट निवारण में जुटे हुए थे।
मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, उनके मंत्रिमंडलीय सदस्यों और शासन-प्रशासन ने पूरी ताक़त झोंक दी चक्रवात से निपटने में और परिणाम यह हुआ कि गुजरात में अब तक के सबसे भयावह तूफ़ान में कम से कम जान-माल का नुक़सान हुआ।
हालाँकि ‘बिपरजॉय’ के गुजरात तट की ओर बढ़ने के दौरान और टकराने से पहले राज्य के 8 ज़िलों में जनजीवन में भीषण भय और आशंकाएँ थीं। जब ऐसी भयावह और जानलेवा आपदा मंडरा रही हो और धरती पर मौजूद मनुष्य सहित सभी जीव मृत्यु के भय से थर-थर काँप रहे हों; तब क्या जीवन की किलकारियों की कल्पना भी की जा सकती है ? शायद नहीं, लेकिन गुजरात में ‘बिपरजॉय’ के बीच बर्थजॉय के दृश्य भी देखने को मिले, जिसने भय एवं दहशत के बीच कई परिवारों में ख़ुशी की लहर दौड़ा दी।
राज्य सरकार ने चक्रवात के ख़तरे से निपटने के मामले में सर्वोच्च प्राथमिकता दी लोगों के सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण को। यही कारण है कि राज्य के आठ तटवर्ती ज़िलों में ‘बिपरजॉय’ के आगमन से पहले तेज़ आंधी और भारी वर्षा के बावजूद तटवर्ती क्षेत्रों से लगभग 1 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया। इसमें भी बच्चों, महिलाओं और वृद्धों को सबसे पहले सुरक्षित आसरा दिया गया। इसमें भी सरकार ने उन महिलाओं की विशेष चिंता की, जो अपनी जान के साथ अपनी कोख में एक नवजीवन को भी पाले हुए थीं।
‘बिपरजॉय’ चक्रवात के आगमन से लेकर टकराने से पहले तक की समयावधि के दौरान राज्य सरकार ने प्रभावित ज़िलों से 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया, जिससे न केवल उन महिलाओं को बचाया जा सके, बल्कि उनके गर्भ में पल रहे अजन्मे बच्चे को भी इस धरती पर आने का अवसर मिले।
राज्य सरकार की सतर्कता के कारण जहाँ चक्रवात के इस संकट में एक भी गर्भवती महिला प्रभावित नहीं हुई, वहीं राज्य सरकार की संवेदनशीलता के चलते तूफ़ानी कुदरत की गोद में 709 किलकारियाँ भी गूंजीं। चहुँओर संभावित मौत के तांडव के बीच धरती पर जन्मे इन 709 नवजात शिशुओं में 2 शिशुओं ने राज्य सरकार की ‘108’ एम्बुलेंस में जन्म लिया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल द्वारा चक्रवात संकट के लिए दिया गया ‘ज़ीरो कैज़ुअल्टी’ ध्येय जहाँ तटवर्ती ज़िलों के हज़ारों लोगों के लिए वरदान सिद्ध हुआ, वहीं गर्भवती महिलाओं के लिए एक नहीं, बल्कि दो-दो जीवनदान सिद्ध हुआ।
राज्य सरकार के सभी विभागों की भाँति स्वास्थ्य प्रशासन ने भी चक्रवात के कारण उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए व्यापक प्रबंध किए थे, जिसके अंतर्गत प्रशासन ने ‘108’ एम्बुलेंस को बड़ी संख्या में लगाया था। इसी के चलते प्रशासन ने संभावित चक्रवात प्रभावित ज़िलों में रहने वाली 1171 में से 1152 गर्भवती महिलाओं को चक्रवात की भयावहता से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था। इतना ही नहीं, इनमें से 707 महिलाओं की तो सफल प्रसूति भी कराई गई, जिसके चलते प्रशासन एक नहीं, बल्कि दो-दो जानें बचाने में सफल रहा, जिससे उनके परिवारों में चक्रवात के संकट के बीच भी किलकारियाँ गूंजीं और आनंद छाया।
राज्य सरकार और प्रशासन के इन प्रयासों को उस समय चार चांद लग गए, जब अमरेली ज़िले में चक्रवाती तूफ़ान, तेज़ आंधी और भारी वर्षा के बीच दो गर्भवती महिलाओं की प्रसूति ‘108’ एम्बुलेंस में सुरक्षित ढंग से कराई गई।
गुरुवार को जब पूरा गुजरात ‘बिपरजॉय’ चक्रवात के गुजरात तट से टकराने की उल्टी गिनती गिन रहा था, तटवर्ती ज़िलों में कुदरत ने तूफ़ानी रूप धारण किया हुआ था और हर ओर मृत्यु का भय मंडरा रहा था; तभी अमरेली ज़िले के जाफ़राबाद में ‘108’ एम्बुलेंस को देर रात 2 बज कर 7 मिनट पर वांढ गाँव से एक कॉल आई और ठीक 13 मिनट बाद यानी 2 बज कर 20 मिनट पर राजूला ‘108’ एम्बुलेंस को भयादर गाँव से एक कॉल आई। ये कॉल्स प्रसव पीड़ा से कराह रही गर्भवती महिलाओं के परिजनों ने किए थे।
जाफ़राबाद ‘108’ की टीम ने तत्काल वांढ गाँव पहुँच कर गर्भवती महिला को तुरंत अस्पताल पहुँचाने की कार्यवाही शुरू की। जाफ़राबाद ‘108’ के ईएमटी श्री अशोकभाई मकवाणा तथा पायलट अजित मलेक इस महिला को प्राथमिक जाँच करने के बाद एम्बुलेंस में शिफ़्ट कर राजूला स्थित स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने के लिए रवाना हुए, लेकिन एम्बुलेंस अस्पताल पहुँचती, उससे पहले ही जाफ़राबाद-राजूला रोड के पास स्थित चार नाला चौकड़ी के निकट महिला की प्रसव पीड़ा तीव्र हो गई। इसके चलते एम्बुलेंस के ईएमटी व स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ‘108’ में ही महिला की प्रसूति कराई। बाद में महिला को आगे के उपचार के लिए अस्पताल पहुँचा दिया गया। इस प्रकार भारी वर्षा और आंधी के बीच तूफ़ानी कुदरत की गोद में एक नए जीव ने धरती पर सुरक्षित जन्म लिया।
इसी प्रकार राजूला के भयादर गाँव की गर्भवती महिला को भी तत्काल अस्पताल ले जाने की ज़रूरत थी। इसलिए ‘108’ के ईएमटी श्री लालजीभाई वेगड तथा पायलट किशभाई जोशी महिला को एम्बुलेंस में शिफ़्ट कर अस्पताल के लिए रवाना हुए, परंतु भयादर गाँव की सीमा में ही महिला की प्रसूति करानी पड़ी और विनाशलीला के बीच सृजनलीला हुई। इस महिला की भी सुरक्षित प्रसूति हुई। बाद में उसे आगे के उपचार के लिए अस्पताल भेज दिया गया।
उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने चक्रवात प्रभावित ज़िलों में पहले से ही गर्भवती महिलाओं की परिचय सूची तैयार कर ली थी। इसके बाद चक्रवात से पहले ही इन महिलाओं के एम्बुलेंस के माध्यम से अस्पाल या सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। प्रशासन ने जिन 1152 गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया था, उनमें कच्छ की सर्वाधिक 552, राजकोट की 176, देवभूमि द्वारका की 135, गीर सोमनाथ की 94, जामनगर की 62, जूनागढ की 58, पोरबंदर की 33, राजकोट महानगर पालिका क्षेत्र की 26, जूनागढ मनपा क्षेत्र की 8, मोरबी तथा जामनगर मनपा क्षेत्र की 4-4 गर्भवती महिलाएँ शामिल हैं।
राज्य सरकार, स्वास्थ्य तथा सम्बद्ध ज़िला प्रशासन की व्यापक सुरक्षा तैयारियों के चलते इन 1152 गर्भवती महिलाओं में से 709 महिलाओं के घरों में आंधी के बीच भी दीप जले। अमरेली ज़िले की 2 महिलाओं की प्रसूति जहाँ ‘108’ एम्बुलेंस में हुई, वहीं शेष 707 महिलाओं ने अस्पतालों में बच्चों को जन्म दिया। इनमें कच्छ की 348, राजकोट की 100, देवभूमि द्वारका की 93, सोमनाथ की 69, पोरबंदर की 30, जूनागढ की 25, जामनगर की 17, राजकोट मनपा की 12, जूनागढ मनपा की 8, जामनगर मनपा की 4 महिलाएँ और मोरबी की 1 महिला शामिल हैं।
इस समग्र अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन के साथ-साथ 302 सरकारी और 202,’108’ एम्बुलेंसें दिन-रात सेवारत रहीं। सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पतालों व स्वास्थ्य केन्द्रों में ज़रूरी दवाइयाँ उपलब्ध कराईं, तो 100 प्रतिशत डीज़ल संचालित 197 आधुनिक जनरेटर सेट की व्यवस्था की थी। सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी नुक़सान को रोकने के लिए कच्छ में 10, देवभूमि द्वारका में 5 और मोरबी में 2 सहित 17 अतिरिक्त ‘108’ एम्बुलेंसें भी आवंटित की थीं।