धर्म-अध्यात्म

भौम प्रदोष व्रत कल, इस पावन व्रत कथा सुना माना जाता है प्रदोष व्रत का पूर्ण होना

Tara Tandi
21 Jun 2021 9:27 AM GMT
भौम प्रदोष व्रत कल, इस पावन व्रत कथा सुना माना  जाता है प्रदोष व्रत का पूर्ण होना
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भौम प्रदोष व्रत कल यानी 22 जून 2021 दिन मंगलवार को है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भौम प्रदोष व्रत कल यानी 22 जून 2021 दिन मंगलवार को है। हिंदी पंचांग के अनुसार, हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव और हनुमान जी भक्त की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं। प्रदोष व्रत में व्रत कथा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

भौम प्रदोष व्रत कथा-

एक समय की बात है। एक स्थान पर एक वृद्ध महिला रहती थी। उसका एक बेटा था। वह वृद्धा हनुमान जी की भक्त थी। हमेशा हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करती थी। मंगलवार को वह हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी ने अपने भक्त उस वृद्धा की परीक्षा लेनी चाही।

वे एक साधु का वेश धारण करके उसके घर आए। उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। जब उनकी आवाज उस वृद्धा के कान में पड़ी, तो वह जल्दी से बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं। इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। इस पर उसने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी।

हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया। तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ। उसकी पीठ पर आग जला दो। उस पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे। हनुमान जी की बात सुनकर वह वृद्धा परेशान हो गई। वह करे भी तो क्या करे। उसने हनुमान जी को वचन दिया था। उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया।

हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा ​दी। वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई। कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया। वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है। बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले। इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें। लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे। तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने बेटे को जीवित देखकर वह आश्चर्यचकित थी। वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई। तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया।

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