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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Bhairav Jayani 2021: शिवपुराण के अनुसार, देवाधिदेव महादेव के आज्ञाचक्र (भौहों के मध्य) से भैरवजी का अवतरण हुआ था। शिवमहापुराण के विद्येश्वर-संहिता के 8वें अध्याय की कथा के अनुसार, सृष्टि की रचना कर ब्रह्माजी ने चारों दिशाओं को देखा तो वे चतुर्मुखी हुए। वैकुंठ की ओर देखा तो पंचमुखी हो गए। इससे उन्हें अहंकार हो गया। उन्होंने पालनकर्ता विष्णु जी को चुनौती दे दी कि ब्रह्मांड में वे सबसे बड़े हैैं। ब्रह्मा जी के अहंकार से क्षुब्ध महादेव रौद्र हो गए। लिहाजा उनके भौंहों के बीच से एक तेज प्रकट हुआ, जिसने ब्रह्मा के अहंकारी मुख (कपाल) का संहार कर दिया। इसी संहारकर्ता तेज का नाम भैरव पड़ा। हालांकि ब्रह्मा के इस कपाल को काटने का दंड भैरव का झेलना पड़ा, अत: महादेव की आज्ञानुसार काशी में साधना कर भैरव ब्रह्म-हत्या के दोष से मुक्त हुए।