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दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है भाई दौज, जानें पौराणिक इतिहास
दीपावली (Diwali) भारत का प्रमुख त्योहार है. यह त्योहार सिर्फ 1 जिन का नहीं होता बल्कि 5 दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और अंतिम दिन भाई दूज में भाई बहन का त्योहार मनाने से खत्म होता है. हालांकि इन 5 दिनों से पहले और बाद में भी भाई कई त्योहार होते हैं. लेकिन इन 5 दिनों में दूज (Bhai Dooj) भी महत्वपूर्ण त्योहार है.
कुछ ऐसे मनाया जाता है दूज का त्योहार
बता दें कि भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इसे यम द्वितीया (Yam Dwitiya) के नाम से भी जानते हैं. भाई दूज को कई जगहों पर भैया दौज के नाम से भी जाना जाता है. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और तिलक लगाकर उनकी सलामती की कामना करती हैं. जबकि भाई अपनी बहन के घर जाता है और तिलक करवा कर बहनों को उपहार (Gift) देता है.
यम द्वितीया को ही क्यों मनाते हैं भैया दूज
पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार यम देव अपनी बहन यमुना या यामी से मिलने उनके घर गए. भाई को अपने घर आया देख बहन ने आरती कर भाई का स्वागत किया. यम देव के माथे पर तिलक लगाकर बहन ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर स्वादिष्ट भोजन कराया. यमराज बहन के इस स्वागत सत्कार से काफी खुश हुए और उपहार स्वरूप उन्होंने सभी भाई बहनों को आशीर्वाद देते हुए घोषणा की कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाएगा और बहनें उनकी आरती और तिलक कर स्वागत करेंगी तो इससे भाई सभी तरह की बुरी ताकतों से बचेगा और उनका कल्याण होगा. यही वजह है कि इस दिन भाई-बहन का त्योहार भाई दूज इस दिन मनाया जाता है.
इस साल तिलक करने का शुभ मुहूर्त
इस साल भाई दूज 6 नवंबर को है और इस दिन अपने भाईयों को तिलक करने का सबसे शुभ समय दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से लेकर 3 बजकर 21 मिनट तक है. इस शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक करना बेहद शुभ रहेगा. लेकिन अगर किसी कारणवश आप इस समय तिलक नहीं लगा पाते हैं तो 6 नवंबर को शाम 7 बजे के पहले कभी भी भाई को तिलक लगाया जा सकता है.
आपको बता दें कि इस साल द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात में 11 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जो अगले दिन यानी 6 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी.