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धर्म-अध्यात्म
Bhagwan Shiv: नहीं जानते होंगे शिवजी के इस रूप में छिपे रहस्य! जानकर हो जाएगें हैरान
Tulsi Rao
12 July 2022 9:41 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Sawan Month 2022: सावन मास में भोले शंकर की आराधना का विधान है, मंदिरों में अभी सफाई हो रही है ताकि भक्त अपने भगवान का ठीक से पूजन कर सकें. ग्रहस्थ भी अपने घरों में इस पवित्र सावन मास में रुद्राभिषेक अनुष्ठान कराने की प्लानिंग करते हुए आचार्यों से संपर्क कर रहे हैं. बाबा भोलेनाथ की भक्ति भक्तों को रोमांचित कर रही है. महादेव अपने भक्तों पर कृपा बरसाने में कभी कंजूसी नहीं करते हैं, वह तो दिल खोल कर वरदान देने वाले देवता हैं. देव हों या असुर, जिस पर भी संकट आया उसने महादेव की ही शरण ली. महादेव ने भी बिना किसी पक्षपात के अपने दोनों ही प्रकार के भक्तों पर कृपा की है. आइए इस लेख में शिव जी के स्वरूप और उनके द्वारा धारण की जाने वाले चीजों के बारे में चर्चा करेंगे.
शीश पर मां गंगाः शिव जी के शीश पर मां गंगा विराजमान हैं. मां गंगा उनके कंठ में विष के ताप को शांत रखती हैं. यही नहीं महादेव के क्रोध को भी शांत रखती हैं. महादेव ने पृथ्वी वासियों के हित के लिए ही गंगा को अपने सिर पर धारण किया है.
जटाः महादेव की जटाओं को वट वृक्ष की संज्ञा दी जाती है, जो समस्त प्राणियों का विश्राम स्थल है. मान्यता है कि बाबा की जटाओं में वायु का वेग भी समाया हुआ है.
महादेव शशिशेखरः श्रापित चंद्र को सम्मान देकर अपने शीश पर धारण करने वाले महादेव, शशिशेखर कहलाए. चंद्रमा, समय का प्रतीक है इसलिए वह समय चक्र से भी अवगत कराते हैं.
त्र्यंबकः शिव को त्र्यंबक भी कहा जाता है, उनकी दाईं आंख में सूर्य का तेज और बाईं आंख में चंद्र की शीतलता है. ललाट पर स्थित तीसरे नेत्र में अग्नि की ज्वाला विद्यमान है, ताकि दुष्टों को नियंत्रित रखा जा सके. साथ ही मस्तक पर नेत्र विवेक का भी प्रतिनिधित्व भी करता है.
अर्धनारीश्वरः शिव जी का अर्धनारीश्वर रूप शक्ति का प्रतीक है, इस रूप के मूल में सृष्टि की संरचना है. अर्धनारीश्वर सृजन का प्रतीक हैं, शक्ति बिना सृष्टि संभव नहीं है. अर्धनारीश्वर में शिव और शक्ति का समावेश है.
डमरूः शिव जी के हाथ में डमरू नाद ब्रह्म का प्रतीक है. जब डमरू बजता है तो आकाश, पाताल एवं पृथ्वी एक लय में बंध जाते हैं. रिदम बिना जीवन संभव नहीं है, हृदय की गति एक रिदम पर है.
पिनाकपाणिः शिव पिनाकपाणि कहलाते हैं, पिनाक ऐसा शक्तिशाली धनुष है जिसे शिव के अतिरिक्त और कोई नहीं चला सकता. इस धनुष में अनंत शक्ति है, यही कारण था कि शिव जी के धनुष को जब सीता जी ने एक स्थान से उठाकर दूसरे स्थान पर रख दिया तो उनके शक्ति स्वरूप का परिचय मिला. फिर शिव के आराध्य श्रीराम ने उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई.
त्रिशूलः शिव जी का त्रिशूल इच्छा, क्रिया और ज्ञान रूपी तीन मूलभूत शक्तियों का प्रतीक है. इसी त्रिशूल से वह न्याय करते हैं. महादेव इसी से सत्व, रज और तम तीन गुणों को नियंत्रित रखते हैं.
योगीश्वरः शिव जी के गले में सांप लिपटे रहते हैं जो उनके योगीश्वर रूप का प्रतीक हैं. सांप तीन बार शिव के गले में लिपटे रहते है जो भूत, वर्तमान एवं भविष्य का प्रतीक हैं. शक्ति की कल्पना कुंडली की आकृति जैसी की गई है, इसलिए उसे कुंडलिनी कहते हैं.
बाघंबरः शिव जी वस्त्र के रूप में बाघ की खाल यानी बाघंबर धारण करते हैं. महादेव का यह वस्त्र अत्याधिक ऊर्जा युक्त होता है. देवी की कृपा से ये वस्त्र ऊर्जा शक्ति के प्रतीक हैं
जन्म-मृत्युः शिव जी अपना श्रृंगार श्मशान की राख से करते हैं. शिव का एक रूप सर्वशक्तिमान महाकाल का भी है. वे जन्म-मृत्यु के चक्र पर नियंत्रण करते हैं. श्मशान की राख जीवन के सत्य को परिभाषित करती है.
वृषः वृष अथाह शक्ति का परिचायक है, वृष कामवृत्ति का प्रतीक भी है. संसार के पुरुषों पर वृष सवारी करते हैं और शिव जी वृष पर सवार होते हैं क्योंकि शिव जितेंद्रिय हैं.
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