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आज से शुरू हो रहा है बंगाली नववर्ष, जानें कैसे और क्यों मनाया जाता है पोइला बोइशाख
पूरा विश्व एक जनवरी को नया साल मनाता है, लेकिन भारत एक ऐसा देश है, जहां एक जनवरी के अलावा और भी कई बार नया साल मनाया जाता है। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग समय पर अपनी संस्कृति और परंपराओं के आधार पर नया साल मनाया जाता है। इसी तरह आज पश्चिम बंगाल में बंगाली समुदाय के लोग अपना नया साल मना रहे हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, चैत्र का महीना खत्म होते ही बैसाख का महीना शुरू हो जाता है और बंगाली समुदाय के लिए बैसाख माह का पहला दिन बहुत खास महत्व रखता है। इस दिन बंगाली समुदाय के नववर्ष की शुरुआत होती है। इस साल बंगाली नववर्ष 15 अप्रैल 2022 यानी आज से शुरू होने जा रहा है। बंगाल में इसे पोइला बोइशाख कहते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कि कैसे मनाया जाता है ये पोइला बोइशाख और क्या हैं इससे जुड़ी मान्यताएं....
कैसे मनाते हैं पोइला बोइशाख?
बंगाली समुदाय के लोग पोइला बोइशाख यानी साल के पहले दिन घरों की साफ-सफाई करते हैं और नए कपड़े पहनकर पूजा करते हैं। अच्छे पकवान बनाते हैं और एक दूसरे को नए साल की बधाई देते हैं।
इस दिन बंगाली लोग एक-दसूरे को गले मिलकर शुभो नोबो बोरसो कहकर नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। शुभो नोबो बोरसो का हिंदी अर्थ होता है 'नया साल मुबारक हो'।
बंगाली नववर्ष पोइला बोइशाख
साथ ही इस दिन मंदिर में जाकर ईश्वर के दर्शन करने और बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है। इसके अलावा बंगाल के कई इलाकों में पोइला बोइशाख के दिन गौ माता की भी पूजा की जाती है। सुबह गौ माता को स्नान कराकर उन्हें तिलक लगाया जाता है। इस दिन गाय को भोग लगाकर उनका पांव छूकर आशीर्वाद लिया जाता है।
पश्चिम बंगाल में पोइला बोइशाख का दिन बहुत शुभ माना गया है। इस माह में सभी शुभ कार्य दैसे शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नया घर खरीदने जैसे अदि कार्य किए जाते हैं। इसके अलावा इस दिन कई जगह पर मेलों का आयोजन किया जाता है।
क्या है मान्यता ?
बंगाली समुदाय में इस दिन सुबह जल्दी उठकर उगते सूर्य को देखने की भी परंपरा है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे साल भर सफलता प्राप्त होती है। वहीं कई जगहों पर इस दिन लोग नाश्ते में प्याज, हरी मिर्ची और फ्राईड फिश के साथ भात खाते हैं।
पोइला बोइशाख के दिन पूरे साल अच्छी बारिश के ए बादलों की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन परिवार की समृद्धि और भलाई के लिए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।