- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- Benefits of conch :...
x
सनातन परंपरा में शंख को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है
सनातन परंपरा में शंख को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से निकले चौदह अनमोल रत्नों के साथ हुई थी. धन की देवी माता लक्ष्मी के साथ उत्पन्न होने के कारण इसे लक्ष्मी का भाई भी कहा जाता है. मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां हमेशा माता लक्ष्मी का वास बना रहता है. शंख को सूर्य व चंद्र के समान देवस्वरूप मानते हुए घर के पूजा घर में रखा जाता है. शंख की पवित्रता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसे स्वयं तमाम देवी-देवताओं ने अपने हाथों में धारण किया हुआ है. महाभारत काल में भगवान कृष्ण के पास पांचजन्य नाम का शंख रहा करता था. वहीं युधिष्ठिर के पास अनंत विजय, अर्जुन के पास देवदत्त, भीम के पास पौंड्रू शंख, नकुल के पास सुघोष और सहदेव के पास मणिपुष्पक शंख था.
शंख की पूजा के लाभ
मान्यता है कि जो शुभ फल तीर्थों की यात्रा, दर्शन एवं सेवन से मिलता है, वह मात्र शंख को अपने घर में रखने और दर्शन करने से ही मिल जाता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में पूजा में शंख का न सिर्फ प्रयोग किया जाता है बल्कि शंख की पूजा भी की जाती है. अथर्ववेद में शंख को पापों को हरने वाला, लंबी आयु प्रदान करने वाला और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाला कहा गया है.
शंख से जुड़े अचूक उपाय
ज्योतिष में शंख को बुध ग्रह से संबंधित माना गया है. शंख बजाने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि घर में सुबह–शाम शंख बजाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और भूत–प्रेत से जुड़ी बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती हैं. इसमें जल भर कर घर में छिड़कने से घर पवित्र रहता है. इसलिए शंख को हमेशा शंख को हमेशा पूजा स्थान पर जल भर कर रखना चाहिए. शंख सिर्फ सौभाग्य का ही नहीं बल्कि आरोग्य का भी कारक है. इसे बजाने से वाणी दोष दूर होता है और फेफड़े हमेशा मजबूत बने रहते हैं. शंख बजाने से सूक्ष्म जीवाणुओं व कीटाणुओं का नाश हो जाता है.
Next Story