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धर्म-अध्यात्म
श्रावण मास में शिव की पूजा करने से पहले जान लें त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी 10 बड़ी बातें
Tara Tandi
18 July 2022 7:31 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: टीवी 9
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा अत्यंत ही सरल और सुगम मानी गई है. देवों के देव कहलाने वाले महादेव के देश में कई ऐसे पावन धाम हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा अत्यंत ही सरल और सुगम मानी गई है. देवों के देव कहलाने वाले महादेव के देश में कई ऐसे पावन धाम हैं, जहां पर सिर्फ दर्शन मात्र से ही शिव भक्तों के सारे दु:ख-दर्द दूर और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. देश के प्रमुख शिव मंदिरों में द्वादश ज्योतिर्लिंग का विशेष स्थान है. इनमें महाराष्ट्र के नासिक जिले में विराजमान भगवान त्र्यंबकेश्वर बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है क्योंकि यह विश्व का एक मात्र शिवलिंग है जहां पूजा करने पर व्यक्ति को भगवान शिव के साथ ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए श्रावण मास में शिव की पूजा करने से पहले त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी 10 बड़ी बातों के बारे में जानते हैं.
देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में त्र्यंबकेश्वर मंदिर का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि देश के बाकी ज्योतिर्लिंगों में जहां भगवान शिव अकेले प्रधान देवता के रूप में पूजे जाते हैं, वहीं इस मंदिर में शिव संग भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी का भी वास है.
भगवान शिव के पावन धाम त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए आप देश के किसी भी हिस्से से रेल अथवा सड़क मार्ग से नासिक और फिर उसके बाद वहां से तकरीबन 30 किमी का सफर तय करके त्र्यंबकेश्वर पहुंच सकते हैं.
त्र्यंबकेश्वर मंदिर के भीतर जब आप गर्भगृह में पहुंचते हैं तो आपको यहां पर स्थित ज्योतिर्लिंग आंख के समान दिखाई देता है, जिसमें जल भरा रहता हैं. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के भीतर एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं. जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में पूजा जाता है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्रावण मास में पूजा करने पर साधक को त्रिदेव यानि भगवान शिव के साथ भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर भगवान शिव को यहां विराजमान होना पड़ा.
काले पत्थरों से बना त्र्यंबकेश्वर मंदिर नासिक में ब्रह्मगिरि पर्वत और गोदवरी नदी के करीब स्थित है. त्र्यंबकेश्वर मंदिर की बनावट बेहद खूबसूरत है, जो हर श्रद्धालु को अपने ओर खींच लाती है.
मान्यता है कि बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं तो तब भगवान शिव के इस पावन धाम पर कुंभ महापर्व होता है, जिसमें सभी तीर्थ, देवतागण यहां पर पधारते हैं. कुंभ मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु मां गोदावरी में पवित्र डुबकी और भगवान त्र्यंबकेश्वर के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं.
कुंडली से जुड़े कालसर्प दोष को दूर करने के लिए देश के प्रमुख तीर्थ स्थानों में त्रयम्बकेश्वर मंदिर का भी बहुत बड़ा नाम है. मान्यता है कि शिव के इस पावन धाम पर विधि-विधान से पूजन करने पर व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है.
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष को दूर करने की पूजा के के साथ त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की विशेष पूजा कराने का बहुत महत्व है.
मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से व्यक्ति के न सिर्फ इस जन्म के बल्कि पूर्व जन्म के पाप भी दूर हो जाते हैं और उसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
Tara Tandi
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