धर्म-अध्यात्म

नीलम रत्न धारण करने से पहले जान लें ये खास नियम…

Bhumika Sahu
3 Jun 2022 5:45 AM GMT
नीलम रत्न धारण करने से पहले जान लें ये खास नियम…
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आइये जानते हैं नीलम को धारण करने से जुड़ी जरूरी जानकारी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष शास्त्र हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिसमें बताई गई बातें जीवन को संवारने का काम करती हैं। इसमें कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जो जीवन में सौभाग्य लाने का काम करते हैं और आपको संकटों से छुटकारा दिलाते हैं। ज्योतिष में रत्नों का बड़ा महत्व बताया गया हैं जिसका संबंध किसी ना किसी गृह से जरूर होता हैं। ऐसा ही एक रत्न हैं नीलम जो रातोंरात आपकी किस्मत बदल सकता हैं। लेकिन जरूरी हैं कि इससे जुड़े नियमों को भी जाना जाए। नीलम रत्न धारण करना या न करना यह सभी आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा पर निर्भर करता है। तो आइये जानते हैं नीलम को धारण करने से जुड़ी जरूरी जानकारी।

कैसा होता है नीलम रत्न
वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है। यह नीले रंग का होता है। जिस प्रकार किसी जातक की कुंडली में अगर शनि शुभ भाव में होते है वे उस व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार के सुख, सुविधा और ऐशोआराम को भर देते हैं। जब भी नीलम रत्न धारण करें तो इस बात का ध्यान रखें कि नीलम हमेशा उत्तम क्वालिटी का होना चाहिए।
असली नीलम की कैसे करें पहचान
बाजार में असली और नकली दोनों तरह के नीलम देखने को मिलते हैं ऐसे में असली नीलम की पहचान करना मुश्किल काम होता है। असली नीलम रत्न की पहचान गहरे नीले रंग, पारदर्शी, छुने में मुलायम और इसके अंदर देखने पर इसमें किरणें निकलती हुए प्रतीत होती है। असली नीलम की पहचान करने के लिए एक तरीका बहुत ही कारगर माना जाता है। अगर नीलम असली है तो इसे दूध की कटोरी में थोड़ी देर तक रखने पर दूध का रंग नीला दिखाई देने लगता है। वहीं अगर नीलम रत्न को पानी के गिलास में डालने पर पानी से किरणें दिखाई दें तो यह असली नीलम की पहचान होती है। असली नीलम में दो परत एक-दूसरे के सामान्तर दिखाई पड़ती है।
नीलम रत्न को कब करें धारण
नीलम रत्न का संबंध शनि ग्रह से होता है। जब किसी की कुंडली में शनि की महादशा विपरीत होती है तब नीलम रत्न पहना जा सकता है। मेष, वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों पर नीलम रत्न का अच्छा और शुभ प्रभाव रहता है। वहीं जातक की कुंडली में अगर शनि चौथे, पांचवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम रत्न धारण करने पर बहुत लाभ मिलता है। इसके अलावा जब शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठें हो तो नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं इस बात का ध्यान रहे जब कुंडली में शनि अशुभ हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए।
कैसे पता करें नीलम आपके लिए अच्छा परिणाम देगा कि नहीं
नीलम रत्न को धारण करने से पहले एक छोटा सा प्रयोग करना चाहिए। नीलम रत्न पहने से पहले आप उस नीलम को कपड़े में लपेट कर एक सप्ताह के लिए अपने तकिए के नीचे रखें। अगर आपको अच्छी नींद आएं तो समझे कि आपके लिए नीलम पहनना शुभ रहेगा, वहीं सोते समय बुरे सपने दिखाई पड़े तो समझना चाहिए कि यह आपके लिए शुभ नहीं है।
नीलम रत्न को पहनने के नियम
जब भी नीलम रत्न धारण करें उससे पहले उसको घर पर लाने के बाद गंगाजल से भरे किसी पात्र में रख दें। फिर शनिवार के दिन अपनी बीच वाली उंगली में इसे धारण करें।
नीलम धारण करने के बाद न करें ऐसे काम
नीलम रत्न शनि का रत्न होता है। शनिदेव न्याय और कर्म के देवता माने जाता है। ऐसे में नीलम रत्न धारण करने पर व्यक्ति को हिंसा नहीं करनी चाहिए। गरीबों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए। नीलम रत्न धारण करने से बाद दान जरूर करें। शनिवार के दिन मांस और मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। नीलम रत्न पहनने के बाद किसी भी तरह के गलत कार्यों में लिप्त नहीं रहना चाहिए।


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