धर्म-अध्यात्म

काला धागा पहनने से पहले जान लें इसे धारण करने के नियम

Manish Sahu
2 Aug 2023 4:36 PM GMT
काला धागा पहनने से पहले जान लें इसे धारण करने के नियम
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धर्म अध्यात्म: भारत में हर धर्म के लोग बुरी नज़र से बचने के लिए काले धागे का उपाय करते हैं. कुछ लोग तो इसे नज़र दोष से बचाने वाला रामबाण उपाय भी मानते हैं. लेकिन ज्योतिष्शास्त्र में काला धागा पहनने के कुछ नियमों के बारे में बताया गया है. अगर आप इनका पालन करते हुए काला धागा पहनते हैं तो इससे आपको फायदा मिल सकता है. काला धागा कब पहनना चाहिए, कैसे काला धागा हाथ में बांधें, कब तक इस धागे को पहने रखें या जब काला धागा उतारें तो उसका क्या करें ऐसे कई नियम हैं जिनकी जानकारी हो सकता है आपको ना हों. तो आइए जानते हैं काले धागे से जुड़े कुछ नियमों के बारे में.
कब पहनें काला धागा
सुबह या शाम की पूजा के बाद ही काला धागा पहनना चाहिए. कुछ लोग इसे कलाई में बांधते हैं तो कुछ गले में पहनते हैं. कई व्यक्ति काला धागा पैर या अंगूठे पर भी पहनते हैं. मंगलवार औऱ शनिवार का दिन भी काला धागा पहनने के लिए शुभ माना जाता है.
कब बदलें काला धागा
काला धागा अगर आपको नज़र दोष के लिए पहनना है तो इसे हर सप्ताह बदलने का नियम भी कई शास्त्रों में बताया गया है. लेकिन धागा बदलते समय भी कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए. इसे उतार कर फेंकने या डस्टबीन में डालने की गलती ना करें.
पुराना काला धागा उतारने के बाद ये करें
जब भी आप काला धागा बदलें तो पुराने धागे को उतारने के बाद आप उसे किसी नदी में बहा दें. इससे आप पर लगी सारी बुरी नज़र भी जल की धारा के साथ बह जाएगी. अगर पवित्र नदी में बहाना आपके लिए संभव ना हो तो आप इसे किसीं मंदिर या पवित्र स्थान पर रख आएं. लेकिन इसे किसी के पैरों में ना आने दें.
काला धागा पहनने के फायदे
काला धागा धारण करने से नजर लगने से बचने में मदद मिल सकती है. कुछ लोग विश्वास करते हैं कि काला धागा उन्हें मानसिक शक्ति और दृढ़ता प्रदान करता है. कुछ लोग धार्मिक विश्वास के चलते पैरों में काला धागा बांधते हैं, ताकि बुरी नज़र से उनका बचाव हो सके. वैसे ऐसी मान्यता भी है कि पैरों में काला धागा बांधने से ध्यान केंद्रित करने में सहायता मिलती है.
वैसे व्यक्तिगत और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित काला धागा पहनने के नियम के बारे में कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं मिला है. काले धागे के बारे में विश्वसनीय वैज्ञानिक शोध अभी तक नहीं हुआ है. तो ध्यान रहे कि यह ज्योतिष की मान्यताओं पर आधारित परंपरा है और साइंटिफिक तथ्यों से अब तक सिद्ध नहीं हुई है.
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