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धर्म-अध्यात्म
आरती से पहले मंत्र के द्वारा तीन बार पुष्पांजलि देनी चाहिए, इष्टदेवता होता है प्रसन्न
Ritisha Jaiswal
17 Sep 2022 1:21 PM GMT
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आरती इष्टदेवता की प्रसन्नता हेतु की जाती है। इसमें भगवान को दीपक दिखाने के साथ ही उनका गुणगान किया जाता है। आरती से पहले मंत्र के द्वारा तीन बार पुष्पांजलि देनी चाहिए
आरती इष्टदेवता की प्रसन्नता हेतु की जाती है। इसमें भगवान को दीपक दिखाने के साथ ही उनका गुणगान किया जाता है। आरती से पहले मंत्र के द्वारा तीन बार पुष्पांजलि देनी चाहिए। शंख और घंटी बजाकर जय-जयकार के शब्दों के साथ पात्र में कपूर से विषम संख्या की बत्तियां जलाकर आरती करनी चाहिए। साधारणतः पांच बत्तियों से आरती की जाती है। एक, सात या उससे भी अधिक बत्तियों से भी आरती की जाती है। पद्मपुराण के अनुसार कुमकुम, कपूर, घृत और चंदन की 7 या 5 बत्तियां बनाकर या रूई और घी की बत्तियां बनाकर आरती करनी चाहिए।
आरती उतारते समय सर्वप्रथम देवता की प्रतिमा के चरणों में चार बार, नाभि में दो बार, मुखमंडल पर एक बार और समस्त सात बार घुमाये। आरती के दो भाव हैं जो क्रमशः नीराजन और आरती शब्द से व्यक्त हुए हैं। नीराजन का अर्थ हैं- विशेष रूप से निशेष रूप से प्रकाशित करना। अनेक दीप-बत्तियां जलाकर विग्रहा के चारों और घुमाने का अभिप्राय यही है कि एड़ी से चोटी तक प्रकाशित हो उठे।
दूसरा आरती शब्द संस्कृत के आर्तिका प्राकृत रूप है। जिसका अर्थ है- अरिष्ट। देवी-देवताओं के पूजन के अंत में आरती की जाती है। पूजा में जो त्रुटि होती है, आरती से उसकी पूर्ति हो जाती है। शास्त्रों में आरती का विशेष महत्व बताया गया है। पूजन में मंत्र और क्रिया में किसी प्रकार की कमी रह गई है, तो भी आरती कर लेने से पूर्ति हो जाती है।
आरती करने का नहीं बल्कि देखने का भी बहुत बड़ा पुण्य है। जो नित्य भगवान की आरती देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है। वह अपनी पीढ़ियों का उद्धार करता है। अतः श्रद्धा-भक्ति से देवी-देवताओं की नित्य आरती करनी चाहिए।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
Tagsपुष्पांजलि
Ritisha Jaiswal
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