धर्म-अध्यात्म

हरियाली तीज पर बन बेहद शुभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Subhi
31 July 2022 3:50 AM GMT
हरियाली तीज पर बन बेहद शुभ संयोग, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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पंचांग के अनुसार, :सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के निर्जला व्रत रखती है।

पंचांग के अनुसार, :सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के निर्जला व्रत रखती है। यह व्रत भी करवा चौथ की तरह की कठिन होता है। हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की अपने हाथों से मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। इस बार हरियाली तीज के दिन रवि योग भी बन रहा है। ऐसे में इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। जानिए हरियाली चीज के दिन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

तस्वीरों में समझें- हरियाली तीज पर महिलाएं ध्यान रखें व्रत के ये नियम

मायके से आता है सिंजारा

हरियाली तीज पर सुहागिन महिला पूजा करते समय जो भी चीज पहनती हैं उसे सिंजारा कहा जाता है जो मायके से आता है। इस सिंजारा में कपड़े, गहने, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, मिठाई और फल आदि होते हैं।

हरियाली तीज 2022 शुभ मुहूर्त

तृतीया तिथि प्रारंभ - 31 जुलाई 2022 को सुबह 02 बजकर 59 मिनट से शुरू

तृतीया तिथि समाप्त - 1 अगस्त 2022 को सुबह 04 बजकर 18 मिनट तक

पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर शुरू होकर 8 बजकर 33 मिनट तक

प्रदोष पूजा- सायंकाल में 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक

रवि योग- 31 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से 1 अगस्त 5 बजकर 42 मिनट तक

हरियाली तीज 2022 पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साथ-सुथरा हरे रंग के कपड़े पहन लें।

शिव-पार्वती का स्मरण कर निर्जला व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

हरियाली तीज की शाम को अपने हाथों से बनाए गए कच्ची मिट्टी के शिव-पार्वती की प्रतिमा की पूजा जाती है।

पूजा में भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार, रोली , अक्षत आदि चढ़ाया जाता है।

माता पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान चुनरी, सिंदूर, चूड़ियां और बिंदी आदि चढ़ाना चाहिए।

पंचामृत का भोग लगा कर भगवान शिव और माता पार्वती से पति की दीर्घ आयु और सुखी दाम्पत्य जीवन की कामना करनी चाहिए।

धूप-दीपक जलाकर तीज कथा पढ़ लें।

दिनभर निर्जला व्रत रखें और अगले दिन व्रत खो लें।


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