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धर्म-अध्यात्म
Basant Panchami 2021: बसंत पंचमी पर राशि अनुसार ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
Deepa Sahu
6 Feb 2021 2:50 AM GMT
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बसंत पंचमी पर्व 16 फरवरी को है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: बसंत पंचमी पर्व 16 फरवरी को है। यह पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनायी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए राशि अनुसार पूजा करने से जातकों को ढेरों लाभ मिलते हैं।
मेष
इस राशि के जातकों को माता सरस्वती के पूजन के पूर्व प्रात: स्नान आदि करके नवोदित सूर्य किरणों को लाल पुष्प पीला पुष्प एवं लाल चंदन जल के माध्यम से अर्पित करना चाहिए।
वृष
वृष राशि के जातकों को बसंत पंचमी के दिन प्रारंभिक पूजा में श्रीगणेश को दूर्वा एवं लड्डू अवश्य अर्पित करें। इसके बाद मंत्र और विधि-विधान के साथ मां सरस्वती की आराधना करें।
मिथुन
इस राशि के विद्या के स्वामी ग्रह शुक्र देव हैं। अत: पूर्व में बताई गई पूजा विधि एवं मंत्र के अतिरिक्त ॐ सुं शुक्रदेवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करना न भूलें एवं माता सरस्वती को सफेद मिष्ठान प्रसाद के रूप में अवश्य चढ़ावें।
कर्क
आपके विद्या का अधिपति मंगल देव है। अत: आज के दिन निर्धारित पूजा के अतिरिक्त ॐ अंग अंगारकाय नम: मंत्र की एक माला जप अवश्य करें एवं प्रसाद के रूप में लाल लड्डू अर्पित करना न भूलें।
सिंह
इस राशि वाले जातकों के विद्या के मूल स्वयं बृहस्पति देव हैं। जो विद्या के कारक हैं। अत: माता सरस्वती के पूजन के बाद बृहस्पति देव का मंत्र ॐ बृं बृहस्पतये नम: की एक माला जप करें एवं पीली मिठाई प्रसाद के रूप में अवश्य चढ़ाएं।
कन्या
इस राशि वाले जातकों के विद्या के कारक शनिदेव हैं जो कि एकाग्रता व आत्मचिंतन के मूल कारक हैं। अत: निर्धारित सरस्वती पूजा के पश्चात् शनिदेव के ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:। की एक माला अवश्य करें। एवं पूजा के अंत में काले रंग का धागा माता सरस्वती एवं प्रभु शिव को अर्पित करते हुए शनिदेव का ध्यान कर कलाई पर बांध लें।
तुला
इस राशि वाले जातकों के लिए भी विद्या के कारक शनिदेव हैं जो कि एकाग्रता व आत्मचिंतन के मूल कारक हैं। अत: निर्धारित सरस्वती पूजा के पश्चात शनिदेव के ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम: की एक माला अवश्य करें। एवं पूजा के अंत में काले रंग का धागा माता सरस्वती एवं प्रभु शिव को अर्पित करते हुए शनिदेव का ध्यान कर कलाई पर बांध लें।
वृश्चिक
इस राशि वाले जातकों के विद्या के मूल स्वयं बृहस्पति देव हैं। जो विद्या के कारक हैं। अत: माता सरस्वती के पूजन के बाद बृहस्पति देव का मंत्र ॐ बृं बृहस्पतये नम: की एक माला जप करें एवं पीली मिठाई प्रसाद के रूप में अवश्य चढ़ाएं। यदि संभव हो सके तो पूजन के समय पीला वस्त्र पहनना सोने पर सुहागे का काम करेगा।
धनु
आपके विद्या का अधिपति मंगल देव है। अत: आज के दिन निर्धारित पूजा के अतिरिक्त ॐ अं अंगारकाय नम: मंत्र की एक माला जप अवश्य करें एवं प्रसाद के रूप में लाल लड्डू अर्पित करना न भूलें।
मकर
इस राशि के विद्या के स्वामी ग्रह शुक्र देव हैं। अत: पूर्व में बताई गई पूजा विधि एवं मंत्र के अतिरिक्त ॐ सुं शुक्रदेवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करना न भूलें एवं माता सरस्वती को सफेद मिष्ठान प्रसाद के रूप में अवश्य चढ़ावें।
कुंभ
आपकी राशि में विद्या के मूल कारक भगवन श्रीगणेश स्वयं हैं। अर्थात् बुद्धि के स्वामी ग्रह विघ्नेश्वर के रूप में जाने जाते हैं। अत: पूर्व में बताई गई पूजा विधि एवं मंत्र के अतिरिक्त आज की प्रारंभिक पूजा में श्रीगणेश को दूर्वा एवं लड्डू अवश्य अर्पित करें।
मीन
इस राशि के जातकों के लिए विद्या के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। अत: निर्धारित पूजा के पश्चात् ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम: का 108 बार जप अवश्य करें। एवं सफेद मिठाई का भोग लगने के पश्चात् पंचामृत का पान अवश्य करें।
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