धर्म-अध्यात्म

Basant Panchami 2021: कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

Nilmani Pal
29 Jan 2021 4:18 PM GMT
Basant Panchami 2021: कब है बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व
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हिंदू परंपरा के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का सृजन किया था.

जनता से रिश्ता वेब डेस्क। Basant Panchami 2021: बसंत पंचमी की तिथि का हिंदू परंपरा में बेहद विशिष्ट स्थान है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस तिथि का विशेष महत्व इसलिए भी हो जाता है क्योंकि, ऋतुराज बसंत की शुरुआत इसी दिन से होती है. मान्यता अनुसार, बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का पूजन अर्चन किया जाता है.

बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व

ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन, देवी सती और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने से हर व्यक्ति को शुभ समाचार एवं फल की प्राप्ति होती है. इसलिए बसंत पंचमी के दिन, षोडशोपचार पूजा करना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन के लिए सुखदायक माना गया है.

वर्ष 2021 में बसंत पंचमी का मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष यानी 2021 में, बसंत पंचमी 16 फरवरी (मंगलवार) को दुनियाभर में धूमधाम से मनाई जाएगी. एस्ट्रोसेज के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य की मानें तो, इस वर्ष बसंत पंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक, यानी करीब 05 घंटे 36 मिनट का रहने वाला है.

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का महत्व

हिंदू परंपरा के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को, बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ब्रह्मा जी ने मां सरस्वती का सृजन किया था. इसलिए यही वजह है कि इस दिन सभी सनातन अनुयायी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से, शुभ फल तो मिलते ही हैं, साथ ही उस व्यक्ति को मां सरस्वती की असीम कृपा भी प्राप्त होती है.

बसंत पंचमी को लेकर एक और भी पौराणिक महत्व सुनने को मिलता है जिसके अनुसार इस दिन यदि कोई भी व्यक्ति सच्चे दिल से धन और वैभव की देवी मां लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु की पूजा करता है तो, उसे हर प्रकार की आर्थिक तंगी से निजात मिल जाता है. हालांकि देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की ये पूजा भी मुख्य रूप से, पंचोपचार एवं षोडशोपचार विधि से ही होनी अनिवार्य होती है.


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