धर्म-अध्यात्म

बहुला चौथ आज, जानिए श्रीकृष्ण के साथ क्यों की जाती है गायों की पूजा और क्या है नियम

SANTOSI TANDI
3 Sep 2023 8:53 AM GMT
बहुला चौथ आज, जानिए श्रीकृष्ण के साथ क्यों की जाती है गायों की पूजा और क्या है नियम
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गायों की पूजा और क्या है नियम
हिंदू धर्म में हर महीने पड़ने वाली चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. वहीं हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के रूप जाना जाता है जिसमें भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भाद्रपद की संकष्टी चतुर्थी को गणपति के हेरम्ब रूप की पूजा की जाती है. हालांकि इस तिथि को बहुला चतुर्थी और बोलचौथ के नाम से भी जाना जाता है जिसमें श्री कृष्ण और गायों की पूजी की जाती है.
मान्यता है कि बहुला चौथ के दिन जो भी गायों की पूजा करता है, उन पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा होती है और उन्हें धन और संतान सुख की प्राप्ति होती है. दरअसल भगवान श्रीकृष्ण को बहुला नाम की गाय काफी प्रिय थी. एक बार श्रीकृष्ण ने गाय की परीक्षा भी ली थी जिसमें गाय पूरी तरह से खरी उतरी. इससे प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने वरदान दिया कि जो भी भक्त भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि तो बहुला को गौ माता के रूप में पूजेगा, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होगी और संतान सुख की प्राप्ति होगी.
बहुला चौथ का शुभ मुहूर्त
बहुला चौथ तीन सितंबर को मनाई जा रही है जिसमें पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 28 मिनट से शाम 06 बजकर 24 मिनट का है. बहुला चौथ का व्रत काफी लाभदायक बताया गया है. संतान की चाह रखने वाली जो भी महिला इस दिन गायों और उनके बछडों की पूजा करती है, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन खुशियों से भर जाता है. इस दिन गाय और बछड़े की पूजा कर गाय और घी खिलाने का विधान है. इसके बाद उनकी प्रदक्षिणा कर ध्यान करने से भगवान श्री कृष्ण हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
बहुला चौथ की व्रत कथा
मान्यताओं के अनुसार, कामधेनू गाय को श्री कृष्ण की लीलाएं देखने की इच्छा हुई तो बहुला का रूप धारण कर नंद बाबा की गौशाला में पहुंच गई. जल्द ही ये गाय श्री कृष्ण की प्रिय बन गई. श्री कृष्ण का ज्यादातर समय उनके साथ ही बितता था. बहुला गाय का एक बछड़ा भी था. एक बार बहुला वन में चरने गई तो बछड़े को छोड़ गई. वन में उसे शेर मिला. शेर गाय को देखकर खुश हो गया और उसे अपना शिकार बनाने के लिए आगे बढ़ा. शेर को देखकर बहुला को अपना बछड़ा याद आया. उसने शेर से कहा, उसका बछड़ा घर में भूखा है, वो उसे दूध पिलाकर आ जाऊं, फिर शेर उसे खा सकता है. शेर ने कहा कि अगर वो वापस ना आई तो, इस पर बहुला ने विश्वास दिलाया कि वो जरूर वापस आएगी.
इसके बाद बहुला वापस आ गई और बछड़े को दूध पिलाकर उसे खूब प्यार किया. इसके बाद उसे छोड़कर वापस जंगल आ गई. शेर उसे देखकर हैरान रह गया. बाद में बहुला को पता चला कि वो शेर कोई और नहीं बल्कि श्री कृष्ण ही थे जिन्होंने उसकी परीक्षा लेने के लिए शेर का रूप धारण किया. बहुला ने इस परीक्षा को सफलतापूर्वक पास किया जिससे श्रीकृष्ण काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान दिया कि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी भक्त सच्चे दिल से गौ माता की पूजा करेगा, उसे संतान सुख की प्राप्ति होगी और जीवन खुशियों से भर जाएगा.
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