धर्म-अध्यात्म

शुभ योग बन रहा है यह खरीदना रहेगा सबसे अच्छा

Teja
24 Nov 2021 12:26 PM GMT
शुभ योग बन रहा है यह खरीदना रहेगा सबसे अच्छा
x

शुभ योग बन रहा है यह खरीदना रहेगा सबसे अच्छा

गुरुपुष्यामृत योग ज्योतिषीय योग में सर्वश्रेष्ठ योग होता है। बृहस्पतिवार को यदि पुष्य नक्षत्र आ जाए तो यह महायोग बन जाता है और इसे अमृत सिद्धि योग भी कहते हैं। इस योग में व्यापारिक कार्य, नए


जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गुरुपुष्यामृत योग ज्योतिषीय योग में सर्वश्रेष्ठ योग होता है। बृहस्पतिवार को यदि पुष्य नक्षत्र आ जाए तो यह महायोग बन जाता है और इसे अमृत सिद्धि योग भी कहते हैं। इस योग में व्यापारिक कार्य, नए अनुबंध, नया व्यापार शुरू करना, धन निवेश करना, गृह प्रवेश ,भूमि पूजन, प्रापर्टी, भूमि-भवन का लेन-देन, वाहन खरीदना और बेचना, व्यापारिक और धार्मिक कार्य बहुत शुभ माने गए हैं।
25 नवंबर दिन बृहस्पतिवार को सूर्योदय से शाम 6:48 बजे तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। कर्क राशि के चंद्रमा अपनी स्वराशि में होकर बहुत ही अच्छा प्रभाव डालते हैं। इसलिए इस योग में घर की सुख-सुविधाओं के लिए आवश्यक सामान खरीदना, वस्त्र ,ज्वेलरी एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना भी शुभ होता है। पुष्य नक्षत्र इससे पहले बीते महीने 28 अक्टूबर को आया था। दिवाली से पहले पुष्य नक्षत्र था। इसमें धनतेरस की तरह ही व्यापारिक लेन-देन बढ़ा था। इसलिए आर्थिक क्षेत्र में इस नक्षत्र को बहुत महत्व दिया गया है। ज्योतिष के नियमानुसार गुरु-पुष्य योग में विशेष मंत्र साधना, मंत्र जाप, किसी वस्तु को मंत्र के द्वारा सिद्ध करना अथवा अभिमंत्रित करना बहुत ही श्रेष्ठ रहता है।
क्यों श्रेष्ठ है गुरु-पुष्य योग: पुष्य नक्षत्र की प्रवृत्ति भी गुरु की तरह विशाल है। गुरु पद, प्रतिष्ठा और सफलता का ग्रह है और पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि न्याय,परिश्रम, वर्चस्व और निष्पक्ष रूपेण कार्य करने का प्रतीक है। जब परिश्रम, न्याय, गुरुत्व, पद, प्रतिष्ठा और सफलता का एक साथ समायोजन होता है तो ऐसे योग में किया हुआ प्रत्येक अच्छा कार्य अच्छे ही परिणाम देता है। गुरु सोना पीली धातु का प्रतीक है और चंद्रमा चांदी का प्रतीक है क्योंकि चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में अपनी कर्क राशि में होता है। ऐसे शुभ अवसर पर सोने-चांदी के आभूषण और धातु खरीदना बहुत अच्छा माना गया है। पुष्य नक्षत्र में केवल वैवाहिक कार्य नहीं होते हैं। विवाह कार्य के लिए यह नक्षत्र वर्जित है और ब्रह्मा जी के द्वारा अभिशप्त है।

Next Story