धर्म-अध्यात्म

होलिका दहन का मुहूर्त, पूजा विधि के साथ अन्य जानकारी

Tara Tandi
14 March 2024 1:52 PM GMT
होलिका दहन का मुहूर्त, पूजा विधि के साथ अन्य जानकारी
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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों वाली होली का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपने मतभेद भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं। इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए यह त्यौहार पूरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
होली का महत्व
होली का त्योहार समाज में ऊंच-नीच, गरीबी-अमीरी के भेदभाव को खत्म करता है और इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं। होली का त्यौहार दो दिनों तक मनाया जाता है, पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन परिवार और प्रियजनों को अबीर गुलाल लगाया जाता है। होली के मौके पर हर घर में नए-नए पकवान बनाए जाते हैं और गुझिया खिलाकर मुंह मीठा किया जाता है.
होली से पहले होलाष्टक
होली के त्योहार से आठ दिन पहले होलाष्टक मनाया जाता है और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। होलाष्टक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तिथि तक रहता है। इस बार होलाष्टक 17 मार्च से शुरू होगा और 24 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह उग्र अवस्था में रहते हैं, इसलिए होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं।
होली के दिन चंद्र ग्रहण
होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. चंद्र ग्रहण 25 मार्च को सुबह 10:23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3:02 बजे तक रहेगा। हालाँकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए होली पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
पूर्णिमा तिथि
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च को रात्रि 9 बजकर 56 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 25 मार्च को रात्रि 12 बजकर 29 मिनट पर हो रहा है.
होली कब है?
शास्त्रों में प्रावधान है कि यदि दोनों दिन पूर्णिमा हो तो भद्रा मुक्त काल में प्रदोष काल में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इसलिए इस बार होली का त्योहार 24 मार्च को मनाया जाएगा और रंगोत्सव का त्योहार अगले दिन 25 मार्च को मनाया जाएगा. 24 मार्च को भी भद्रा लग रही है, इस दिन भद्रा सुबह 9 बजकर 54 मिनट से शुरू हो रही है और रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी. इसके बाद होलिका दहन किया जा सकता है.
होलिका दहन का समय
होलिका दहन 24 मार्च की रात 11:13 बजे से रात 12:32 बजे तक रहेगा. ऐसे में होली पूजा के लिए आपको सिर्फ 1 घंटा 20 मिनट का समय मिलेगा.
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन से पहले स्नान करके पूजा स्थल पर उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्तियां बनाएं और उन्हें एक थाली में रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशा, कच्चा सूत, फल, बताशा और कलश में जल भरकर रखें। इसके बाद होलिका की पूजा करें और पूजन सामग्री अर्पित करें। साथ ही भगवान नृसिंह और विष्णु के नाम पर पांच अनाज अर्पित करें। फिर प्रह्लाद का नाम लें और अनाज और फूल चढ़ाएं। इसके बाद कच्चा सूत लेकर होलिका की सात बार परिक्रमा करें और अंत में गुलाल डालकर जल अर्पित करें। होलिका दहन के बाद कच्चे आम, सप्तधान्य, नारियल, मुट्टा, मूंग, चना, चावल आदि चीजें अर्पित करें।
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