धर्म-अध्यात्म

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ritisha Jaiswal
21 Jun 2021 6:32 AM GMT
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस एकादशी को भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक महीने में दो एकादशियां होती हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में आती है | उत्तम संतान की इच्छा रखने वालों को शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास एक वर्ष तक करना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से श्री हरि अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं | सभी एकादशियों में ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की इस निर्जला एकादशी का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है|

निर्जला एकादशी में निर्जल यानी बिना पानी पिए व्रत करने का विधान है। इस एकादशी का पुण्य फल प्राप्त होता है। कहते हैं जो व्यक्ति साल की सभी एकादशियों पर व्रत नहीं कर सकता, वो इस एकादशी के दिन व्रत करके बाकी एकादशियों का लाभ भी उठा सकता है। इस दिन व्रती एक बूंद पानी की ग्रहण नहीं करता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
निर्जला एकादशी तिथि- 21 जून 2021
एकादशी तिथि प्रारंभ: 20 जून को शाम 4 बजकर 1 मिनट से शुरू

एकादशी तिथि समाप्‍त: 21 जून दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक
पारण का समय- 22 जून सुबह 5 बजकर 13 मिनट से 8 बजकर 1 मिनट तक
निर्जला एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारक करके भगवान विष्णु का स्मरण करें। इसके बाद शेषशायी भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा करें। इसके बाद 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। भगवान की पूजा धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें। पीले फूल और फलों को अर्पण करें। इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जगकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। शाम को पुन: भगवान विष्णु की पूजा करें व रात में भजन कीर्तन करते हुए धरती पर विश्राम करें।
अगले दूसरे दिन यानी कि 22 जून के दिन उठकर स्नान आदि करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें। इस एकादशी का व्रत करने से अन्य तेईस एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है।


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

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