धर्म-अध्यात्म

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गुरुवार का शुभ संयोग, इन उपायों को करने से पूर्ण होती है मनोकामनाएं

Gulabi
23 Jun 2021 12:49 PM GMT
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गुरुवार का शुभ संयोग, इन उपायों को करने से पूर्ण होती है मनोकामनाएं
x
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर गुरुवार का शुभ संयोग

Jyeshtha Purnima 2021: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और जब ये खास दिन गुरुवार को आता है तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि गुरुवार का दिन भी विष्णु जी की अराधना के लिए विशेष होता है। 24 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा और गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो इस दिन विष्णु अराधना और कुछ विशेष उपायों को करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य के कार्यों भी बहुत फलदायी माने जाते हैं।

इस दिन व्रत रख भगवान विष्णु की अराधना करनी चाहिए। इसके लिए विष्णु जी की मूर्ति के समक्ष धूप-दीप प्रज्जवलित करें और फिर अक्षत, रोली, फल, फूल से उनकी पूजा करें। पूरे दिन व्रत रखें और शाम के समय फिर से भगवान विष्णु का पूजन करें। रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद खाकर व्रत का पारण करें। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का भी महत्व माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन नदी स्नान कर पाना संभव न हो तो इस दिन नहाने के पानी में ही गंगा जल मिलाकर घर पर ही स्नान करना चाहिए। ये भी उतना ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार और पूर्णिमा तिथि से बनने वाले शुभ संयोग के कारण इस दिन स्नान-दान का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार सुख समृद्धि, धन वैभव में वृद्धि के लिए इस दिन दान जरूर करें। खासकर पीली वस्तुओं का दान विशेष रूप से फलदायी रहेगा।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की मध्य रात्रि में भगवान विष्णु के साथ महालक्ष्मी की पूजा भी जरूर करें। मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। बृहस्पतिवार का संयोग बनने के कारण इस दिन केले के पेड़ की पूजा करें। साथ ही केले के पेड़ की जड़ पर चने की दाल, हल्दी, गुड़ चढ़ाएं। तेल का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु की पूजा करें। संभव हो तो इस दिन पीले कपड़े पहनें। बृहस्पतिवार या सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें।
भगवान विष्णु के प्रभावशाली मंत्र:
-ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
-श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
-ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
-ॐ हूं विष्णवे नम:
-ॐ विष्णवे नम:
-ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
-ॐ अं वासुदेवाय नम:
-ॐ आं संकर्षणाय नम:
-ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
-ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
-ॐ नारायणाय नम:
Next Story