धर्म-अध्यात्म

करवा चौथ पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मुहूर्त

Subhi
12 Oct 2022 5:41 AM GMT
करवा चौथ पर बन रहा है शुभ संयोग, जानिए मुहूर्त
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पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव, माता पार्वती और चंद्रदेव की पूजा करती हैं। इस साल करवा चौथ पर शुक्र अस्त होने का प्रभाव है। इसलिए कहा जा रहा है कि पहली बार करवा चौथ रखने वाली महिलाएं इस बार से शुरुआत न करें। क्योंकि यह शुभ नहीं माना जा जा रहगा है। जानिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय।

करवा चौथ के दिन महिलाएं स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लेती हैं और दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती है।

करवा चौथ 2022 तिथि और मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ - 13 अक्टूबर 2022 को सुबह 01 बजकर 59 मिनट से

चतुर्थी तिथि समाप्त - 14 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट तक

करवा चौथ पूजा का अच्छा मुहूर्त- 13 अक्टूबर शाम को 5 बजकर 54 मिनट से लेकर 7 बजकर 09 मिनट तक है।

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक

करवा चौथ पर चंद्रोदय- रात 8 बजकर 09 मिनट पर

करवा चौथ व्रत समय - सुबह 06 बजकर 20 मिनट से रात 08 बजकर 09 मिनट तक

करवा चौथ 2022 पर बना रखा शुभ संयोग

इस साल करवा चौथ पर काफी शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ सिद्धि योग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन कन्या राशि में शुक्र और बुध ग्रह की युति हो रही है जिसके कारण लक्ष्मी नारायण योग बन रहा है। इसके अलावा बुध और सूर्य की युति होने सेबुधादित्य योग भी बन रहा है। ऐसे में करवा चौथ रखने से सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी।

करवा चौथ 2022 पूजा विधि

करवा चौथ के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साथ सूथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद इस मंत्र का उच्चारण करके व्रत का संकल्प लें- 'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये'।

सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर लें। इसके बाद दिनभर निर्जला व्रत रखें। अब थोड़े से चावल भिगोकर पीस लें। इसी चावल से करवा को रंग लें। करवा में गेहूं, चावल और उसके ढक्कन में शक्कर या फिर बूरा भर दें। आप चाहे तो करवा में महावर से चित्र भी बना सकते हैं। इसके साथ ही आठ पूरियां बना लें। इसके साथ ही मीठे में हलवा या खीर बना लें।

अब पीली मिट्टी या फिर गोबर की मदद से मां पार्वती की प्रतिमा बना लें। आप चाहे तो बाजार में मिलने वाली मूर्ति भी ला सकते हैं। अब मूर्ति को एक चौकी में कपड़ा बिछाकर रख दें। इसके बाद विधिवत पूजा करें। मां पार्वती मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही एक कलश में जल भरकर रख दें।


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