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Astrology: कुंडली में ऐसे योग से होती है आर्थिक परेशानी, जानिए

Deepa Sahu
25 July 2021 4:40 PM GMT
Astrology: कुंडली में ऐसे योग से होती है आर्थिक परेशानी, जानिए
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भागदौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान कड़ी मेहनत करता है ताकि वह अच्छा धन कमा सके,

भागदौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान कड़ी मेहनत करता है ताकि वह अच्छा धन कमा सके, जिससे वह अपना और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर सके। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति के मेहनत करने के बाद भी धन संचय करने में असफलता मिलती है और धन का अभाव होने लगता है। साथ ही मेहनत से इकट्ठा किया गया धन अनावश्यक रूप से व्यय हो जाता है। व्यक्ति की जमा पूंजी पूरी तरह से नष्ट भी हो जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में विराजमान कुछ ग्रह या योग इसका कारण बन सकते हैं और धन संबंधी समस्याएं खड़ी करते हैं। आइए जानते हैं कुंडली में ऐसे कौन से भाव और योग हैं, जिनके कारण आर्थिक परेशानी लगी रहती है और कर्ज भी लेना पड़ सकता है।

तो धन बचाना होता है कठिन
कुंडली के इस भाव के माध्यम से हम किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को समझ सकते हैं। अगर दूसरे भाव में राहु, केतु या शनि ग्रह होंगे तो मनुष्य के जीवन में धन संचय करने में बहुत कठिनाई आ सकती है। ऐसी स्थिति में धन बेवजह के कार्यों में ज्यादा खर्च होता है। साथ ही आर्थिक कार्यों में समय-समय पर अवरोध उत्पन्न होते हैं। अगर कुंडली में इन तीनों ग्रह की स्थिति बन रही है तो सोच समझ कर पैसा खर्च करना चाहिए अन्यथा संकट या जरूरत के समय आपको धन का अभाव महसूस होगा।
लाभ को शनि की नजर
कुंडली के इस भाव के माध्यम से हम किसी भी व्यक्ति के जीवन काल के लाभ का आकलन कर सकते हैं। ग्यारहवें भाव में किसी क्रूर ग्रह यानी राहु, केतु या शनि की दृष्टि होगी तो आपको जीवन में अपेक्षा से कम लाभ होंगे। यही नहीं हर वस्तु में लाभ के प्रभाव भी कम होते जाएंगे।
बारहवां भाव
इस भाव के माध्यम से हम किसी व्यक्ति के व्यय को आंकते हैं। यह भाव बीमारी, कोर्ट कचहरी और फालतू के खर्चों का भाव है। यहां राहु की उपस्तिथि मनुष्य को किसी ना किसी खर्च में उलझा कर रखती है और ना चाहते हुए भी बहुत खर्चे होते रहते हैं। इस भाव में चंद्रमा की उपस्तिथि भी व्यय का कारण बनती है और संचित धन में अवरोध खड़े करती है।

कुछ ऐसे महत्वपूर्ण योग जिनके रहते आप आर्थिक रूप से हो सकते हैं कर्जदार :

छठे और बारहवें भाव में मंगल के खराब होने पर किसी न किसी रूप में जातक पर कर्ज की स्थिति बनी रहती है, जो की उसको अत्यधिक आर्थिक परेशानियां देता है। धन को आवश्यक रूप में ही लेना सही निर्णय होगा।
छठे और ग्यारहवें भाव में शनि का प्रभाव होने पर कर्ज लंबा चलता है है और बहुत लंबे समय तक जातक को आर्थिक संकट देता है।
ग्रहण योग
कुंडली के किसी भी भाव में चंद्रमा के साथ राहु या केतु बैठे हों तो ग्रहण योग बनाता है। यह योग मनुष्य को आर्थिक रूप से संतुलन में नहीं रहने देता है। ऐसे व्यक्ति की हमेशा अपना धन सोच समझकर व्यय करना चाहिए।
चांडाल योग
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु बृहस्पति के साथ राहु बैठा हो तो दोनों की युति से कुंडली में चांडाल योग बनता है। चांडाल योग से व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस योग का सर्वाधिक प्रभाव धन पर होता है और कर्ज में डूबा रहता है।
षड्यंत्र योग
लग्नेश यदि अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका बनी रहती है। यह योग अत्यंत खराब माना जाता है। कोई ना कोई इनका धन इनसे छीन लेता है।
भाव नाश योग
कुंडली में जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। साथ ही धन के भाव का स्वामी भी छठे, आठवें या बारहवें भाव में बैठ जाए तो भी धन का अत्यधिक नाश होता है।
ऊपर दिए गए सारे उदाहरण आपके धन को नष्ट करने में बहुत बड़ी भूमिमा निभाते हैं। अगर आपकी कुंडली में ऐसे योग हैं तो धन का व्यय बहुत संभलकर करें।
ऐस्ट्रॉलजर
डॉ आरती दहिया


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