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Astrology News : आखिरी संकष्टी चतुर्थी इस विधि से करें पूजन, मिलेगा मनचाहा फल
ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इसे अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता …
ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है जो कि पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इसे अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
इस दिन लोग भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की असीम कृपा बरसती है इस साल की आखिरी संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूजन 30 दिसंबर को किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन विशेष पूजा विधि से अगर गणपति की आराधना की जाए तो मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गणपति की संपूर्ण पूजा विधि।
संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि—
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और साफ वस्त्रों को भी धारण करें। इस दिन लाल वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है इस दिन लाल वस्त्र धारण कर पूजा पाठ करने से पूजा सफल मानी जाती है स्नान के बाद भगवान श्री गणेश की पूजा करें पूजन के समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को सजाएं और तिल, गुड़, लड्डू, पुष्प ताम्बे के कलश में पानी, धूप, चंदन, केला और नारियल पास रखकर भगवान गणेश को रोली लगाएं उन्हें पुष्प और जल अर्पित करें इसके बाद तिल के लड्डू और मोदक का भोग चढ़ाएं। अब शाम के वक्त चंद्रमा देखकर गणपति की फिर से पूजा करें और कथा पढ़ें। रात में अपना व्रत खोलें। मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनोकामना भी पूरी होती है।