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धर्म अध्यात्म: देश में भगवान शिव के अनेकों ऐसे मंदिर हैं, जहां पर भक्तों की दर्शन के लिए भारी भीड़ लगती है। आपने कई ऐसे शिव मंदिरों को देखा और दर्शन किया होगा, जिनका इतिहास अलग और अनोखा है। आज इस आर्टिकल के दरिए हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर हिमाचल में मौजूद है। बता दें कि इस शिव मंदिर का नाम जटोली शिव है। यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए भी काफी ज्यादा फेमस है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने डमरू की आवाज निकलती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के इस अनोखे मंदिर के बारे में...
महाशिवरात्रि में लगती हैं भक्तों की भीड़
भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर को एशिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से करीबन 7 किमी दूर स्थित है। बता दें कि महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
मंदिर निर्माण में लगा इतना समय
मान्यता के अनुसार, भगवान शिव के बाद यहां पर स्वामी कृष्णा परमहंस तपस्या करने के लिए आए थे। कहा जाता है कि स्वामी परमहंस के कहने पर इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर के निर्माण कार्य को पूरा होने में करीब 39 सालों का समय लग गया था।
पानी की कमी
बताया जाता है कि इस स्थान पर पानी की पहले काफी परेशानी होती थी। स्वामी कृष्णानंद जी ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए भगवान भोलेनाथ की घोर तपस्या की। इस तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने धरती पर प्रहार किया और फिर वहां से पानी निकलने लगा। तब से इस स्थान पर पानी की कभी कमी नहीं हुई।
मंदिर की संरचना
जटोली शिव मंदिर का गुंबद 111 फीट ऊंचा है। इस मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को 100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। वहीं मंदिर के बाहरी और चारों ओर कई देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित हैं।
मंदिर में हैं कई मूर्तियां
एशिया के इस सबसे ऊंचे मंदिर के अंदर स्फटिक मणि शिवलिंग है। इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं। वहीं मंदिर का भवन भी देखने लायक बना हुआ है।
Manish Sahu
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