धर्म-अध्यात्म

आषाढ़ अमावस्या आज और कल दोनों दिन मनाई जाएगी, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व व्रत नियम

Renuka Sahu
28 Jun 2022 3:15 AM GMT
Ashadh Amavasya will be celebrated both today and tomorrow, know the auspicious time, worship method and fasting rules
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फाइल फोटो 

अमावस्या पितरों की तिथि है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमावस्या पितरों की तिथि है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण किया जाता है, भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन पितृदोष से छुटकारा पाने के लिए पितरों के निमित्त तर्पण और पूजन करना चाहिए। पूर्णिमा की तरह अमावस्या के दिन भी स्नान-दान का विशेष पुण्य प्राप्त होता है। आषाढ़ अमावस्या को ही हलहारिणी अमावस्या भी कहते हैं।

यह पितृ तर्पण के साथ ही, कृषकों के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण दिन होता है। चूंकि आषाढ़ माह से वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है और पहले के समय में भारत के किसान अच्छी फसल के लिए वर्षा पर निर्भर रहते थे, इसलिए हलहारिणी अमावस्या को अच्छी फसल की कामना करते हुए हल व खेती में काम आने वाले उपकरणों की पूजा करते थे। देश के कई हिस्सों में किसान इस दिन बैलों से कोई काम नहीं लेते थे।
आषाढ़ अमावस्या शुभ मुहूर्त 2022
इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या 28 जून को प्रात: 5 बजकर 54 मिनट से प्रारम्भ होगी और 29 जून को प्रात: 8 बजकर 22 मिनट तक रहेगी।
अमावस्या पूजा विधि-
अमावस्या को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। अगर संभव हो, तो किसी पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद अपने घर के मंदिर या पूजा स्थान में दीप जलाएं और भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। भगवान विष्णु की पूजा करें। शिव जी की भी पूजा करें। उपवास कर सकते हैं, तो उपवास करें।
पितरों के लिए तर्पण और दान करें। इस दिन पितरों की शांति के लिए एक पौधा लगाएं। ऐसी भी मान्यता है कि अमावस्या के दिन किसी दूसरे का अन्न खाने से पुण्य का ह्रास होता है। इसलिए इस दिन किसी दूसरे व्यक्ति के यहां भोजन नहीं करना चाहिए। अमावस्या को अपना मन आध्यात्मिक कार्यों में लगाना चाहिए, क्योंकि इस दिन नकारात्मक शक्तियां बहुत प्रबल होती हैं।
अमावस्या के दिन क्या करें
अमावस्या के दिन चीटियों को आटा में शक्कर मिलाकर खिलाएं। गाय, कौए और कुत्ते को भोजन कराएं। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नागबलि कर्म या पंचबलि कर्म करें। उत्तर-पूर्व दिशा में गाय के घी का दीपक प्रज्जवलित करें। इससे लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त होगी। दीपक की बत्ती बनाने के लिए लाल रंग के धागे का प्रयोग करें।
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