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इस समय दिया जाएगा सूर्य देव को अर्घ्य, जानें शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा
कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य देव और माता छठी की विशेष पूजा की जाती है। छठ पूजा पर्व के तीसरे दिन यानि आज व्रती महिलाएं संध्या अर्घ्य (Chhath Puja 2022 Surya Arghya) अर्पित करती हैं और भगवान सूर्य से परिवार के कल्याण की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करने से भक्तों के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।
चार दिनों तक धूम-धाम से मनाया जाने वाले इस पर्व में भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा की जाती है। छठ पर्व के तीसरे दिन संध्या काल में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और अगले दिन उषा काल में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। आइए जानते हैं क्यों संध्या और उषा काल में सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य।
छठ पूजा अर्घ्य शुभ मुहूर्त
संध्या अर्घ्य: 30 अक्टूबर शाम 05 बजकर 34 मिनट पर
उषाकाल अर्घ्य : 30 अक्टूबर 2022 प्रातः 06 बजकर 27 मिनट पर
छठ पूजा में क्यों दिया जाता है डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य?
महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन यानि षष्ठी तिथि के दिन ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। छठ पूजा में यह दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस परम्परा को संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान सूर्य की पत्नी का नाम प्रत्यूषा है, जो हर समय उनके साथ रहती हैं। इसलिए संध्या पूजा में माताएं प्रत्यूषा को अर्घ्य देती हैं। उनकी आराधना करने से व्रती महिलाओं को विशेष लाभ होता है और उनकी उपासना सफल हो जाती है।
उगते हुए सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य?
छठ पर्व के सप्तमी तिथि के दिन उषाकाल में भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का पारण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी बताया गया है कि हर दिन प्रातः काल सूर्य देव की पूजा करने से और उन्हें अर्घ्य देने से व्यक्ति को भाग्योदय और आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।