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April Fool Day : चाणक्य नीति के अनुसार अज्ञानता के बारे में .. जानिए

Tara Tandi
1 April 2021 7:53 AM GMT
April Fool Day : चाणक्य नीति के अनुसार अज्ञानता के बारे में .. जानिए
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1 अप्रैल को हर साल फूल डे मनाया जाता है और इस दिन प्रियजन और दोस्त हंसी-मजाक करते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | 1 अप्रैल को हर साल फूल डे मनाया जाता है और इस दिन प्रियजन और दोस्त हंसी-मजाक करते हैं और मूर्ख बनाते हैं और साथ में हंसते हैं। अप्रैल फूल डे केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। कई देशों में तो इस दिन छुट्टी भी होती है। आचार्य चाणक्य ने भी अज्ञानत के बारे में काफी कुछ कहा है, जिसको समझकर इंसान कई मुश्किलों से बच सकता है। चाणक्य ने बताया है कि जिस तरह बुद्धिमान व्यक्ति हर जगह अपने लक्षणों छोड़कर जाता है, उसी तरह अज्ञान मनुष्य की पहचान की जा सकती है। आइए जानते हैं अज्ञानता के बारे में आचार्य ने क्या कहा है…

ऐसा व्यक्ति पशु के समान


मूर्खस्तु परिहत्र्तव्य: प्रत्यक्षो द्विपद: पशु:।
भिद्यते वाक्यशूलेन अद्वश्यं कण्टकं यथा।।
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कई लोग अपनी बुद्धि का प्रयोग नहीं करते और समय-समय पर मुर्खता पूर्ण कार्य करते रहते हैं। ऐसे लोग पशु के समान माने जाते हैं क्योंकि यह सोचने-समझने की शक्ति का प्रयोग नहीं करते। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बनाकर ही रखनी चाहिए क्योंकि कभी-कभी वह अपने शब्दों से शूल के समान उसी तरह भेदते-रहते हैं, जैसे अदृश्य कांटा चुभ जाता हो
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यहां धन-धान्य की नहीं होती कमी
मूर्खाः यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसंचितम्।
दाम्पत्योः कलहो नास्ति तत्र श्री स्वयमागता॥
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जहां ज्ञानियों का सम्मान किया जाता है और उनकी बातों पर अमल किया जाता है। वहां धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। वहीं जो लोग अपनी प्रशंसा सुनने के लिए मूर्खों की सेवा करते हैं या फिर उनको पूजते हैं। वहां धन-धान्य का अपमान होता है। ऐसे घर में पति-पत्नी हमेशा लड़ते रहते हैं और देवी लक्ष्मी कभी नहीं रुकती।

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्ट च खलु यौवनम्।
कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम्॥
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्खता इंसान के लिए अपने आप में एक बड़ा कष्ट है। वह एक साधु की तरह होते हैं क्योंकि जिस तरह साधु में कोई भी छल-कपट नहीं होता, उसी तरह अज्ञान मनुष्ट में भी कोई छल-कपट नहीं होता है। कौन-सी बात सही है और कौन-सी गलत, इस अज्ञानता के कारण उसको जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी तरह जवानी भी इंसान को सबसे ज्यादा कष्ट देती है क्योंकि जवानी में इंसान की सबसे ज्यादा इंच्छाएं होती हैं और उनको पूरा न होने पर वह दुखी रहता है।



किं कुलेन विशालेन विद्याहीने च देहिनाम्।

दुष्कुलं चापि विदुषी देवैरपि हि पूज्यते॥

श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि विशाल में कुल में जन्मा व्यक्ति अगर विद्याहीन है तो ऐसे विशाल कुल का कोई मतलब नहीं अगर नीच कुल में जन्मा व्यक्ति विद्वान है तो ऐसे में वह देवताओं की तरह पूजा जाता है क्योंकि विद्या ही इंसान को सही और गलत का रास्ता दिखाती है और जीवन में तरक्की के लिए विद्या सबसे जरूरी है। अगर आपके पास धन है लेकिन विद्या नहीं तो ऐसे धन का कोई मतलब नहीं। अगर किसी व्यक्ति के पास धन नहीं है और विद्या है तो वह अपने जीवन में अपार धन प्राप्त कर सकता है। विद्वान की हर जगह प्रशंसा होती है, विद्वान को सर्वत्र गौरव मिलता है, विद्या से सबकुछ प्राप्त होता है और विद्या की सर्वत्र पूजा होती है।




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