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हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित होती है,
हिंदू धर्म में वैसे तो सभी एकादशी (Ekadashi) तिथि का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का खास महत्व है. इस एकादशी को अपरा या अचला एकादशी (Achala Ekadashi) कहते हैं. यह व्रत करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. इस बार अपरा एकादशी 5 और 6 जून को रहेगी. हालांकि, विद्वानों का कहना है कि अपरा एकादशी का व्रत-पूजन 6 जून को ही करना चाहिए.
दोनों दिन सूर्योदय के समय रहेगी तिथि
इस बार अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) तिथि 5 जून, शनिवार को सूर्योदय से पहले ही यानी सुबह करीब 4 बजे ही शुरू हो जाएगी. फिर अगले दिन यानी 6 जून, रविवार को सूर्योदय के बाद तकरीबन साढ़े 6 बजे तक रहेगी. इस तरह दोनों दिन सूर्योदय के समय यह तिथि रहेगी. ज्योतिषविदों के मुताबिक यदि एकादशी तिथि 2 दिन तक सूर्योदय के समय रहे तो इसका व्रत-पूजन-दान दूसरे दिन करना ही उचित होता है.
व्रत-पूजन विधि
एकादशी के दिन सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहनकर भगवान के सामने एकादशी व्रत (Vrat) का संकल्प लें. उसके बाद घर के मंदिर में पूजा (Puja)करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें. वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं. इस वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखकर उन्हें पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद धूप-दीप से भगवान की आरती करें. शाम के समय भी आरती करें और उसके बाद ही फलाहार करें. इस व्रत में रात में सोने की बजाए भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करना चाहिए. अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं, उन्हें दान-दक्षिणा दें और इसके बाद खुद भोजन करें.
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