धर्म-अध्यात्म

आंवला नवमी व्रत आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

Renuka Sahu
12 Nov 2021 2:32 AM GMT
आंवला नवमी व्रत आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
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फाइल फोटो 

कार्तिक माह में कई त्योहार होते हैं और हर एक त्योहार का अपना एक खास महत्व होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कार्तिक माह में कई त्योहार होते हैं और हर एक त्योहार का अपना एक खास महत्व होता है. इन्हीं में से एक है अक्षय नवमी जो दीपावली के बाद मनाया जाता है. इस खास दिन आवंले के पेड़ की पूजा की जाती है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को आवंला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है.

इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करने के विशेष महत्व होता है. आंवला नवमी व्रत देव उठनी एकादशी व्रत से दो दिन पूर्व रखा जाता है. आंवला नवमी के दिन आंवला के पेड़ की बहुत ही विधि विधान के साथ पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी लोग पूरी श्रद्धा के साथ आंवला नवमी के दिन व्रत और पूजा करते हैं उनकी हर एक मनोकामना पूरी होती है.
अक्षय नवमी अनन्त फल देने वाला है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस वर्ष आंवला नवमी कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है?
आंवला नवमी की 2021 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी की 12 नवंबर दिन शुक्रवार को अक्षय नवनी है. इसका प्रारम्भ प्रात: 05 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है. इसके साथ ही नवमी का समापन 13 नवंबर दिन शनिवार को प्रात: 05 बजकर 31 मिनट पर होगा. ऐसे में जो लोग भी व्रत रखते हैं उनके लिए 12 तरीख ही शुभ है.
आंवला नवमी 2021 पूजा मुहूर्त
आप 12 नवंबर को प्रात: 06 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट के बीच में ही आंवला नवमी की पूजा करें, ये बेहद शुभ मुहुर्त है. खास बात है कि इस बार ये व्रत व्रत ध्रुव योग में पड़ा है. 12 नवंबर को पूरे दिन ध्रुव योग है. जबकि यह योग 13 नवंबर को 03 बजकर 17 मिनट पर खत्म हो जाएगा. ध्रुव योग को मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है.
इतना ही नहीं इस बार आंवला नवमी के दिन रवि योग भी बन रहा है. हालांकि रवि योग दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से लेकर 13 नवंबर को प्रात: 06 बजकर 42 मिनट तक ही रहने वाला है.
आंवला नवमी की पूजा विधि
आवंला के वृक्ष की हल्दी कुमकुम आदि से पूजा करें और उसमें जल और कच्चा दूध अर्पित करें. इसके बाद आंवले के पेड़ की 9 या 108 परिक्रमा करते हुए तने में कच्चा सूत या मौली को लपेटा जाता है. पूजा के बाद इसकी कथा पढ़ी और सुनी जाती है. पूजा खत्म होने के बाद परिवार और मित्रों आदि के साथ वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किए जाने का महत्व है. इसके साथ ही इस दिन आवंले को खाना भी बेहद शुभ माना जाता है.


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