धर्म-अध्यात्म

इस दिन है आमलकी एकादशी व्रत, जाने क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा

Subhi
7 March 2022 3:17 AM GMT
इस दिन है आमलकी एकादशी व्रत, जाने क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा
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हिंदू धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहते हैं। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व है

हिंदू धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहते हैं। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व है, लेकिन इन सब में आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम स्थान पर रखा गया है। आमलकी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आमलकी एकादशी को कुछ लोग आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहते हैं। आमलकी एकादशी को रंगभरी एकदशी भी कहते हैं। यह अकेली ऐसी एकादशी है जिसका भगवान विष्णु के अलावा भगवान शंकर से भी संबंध है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा बाबा विश्वानाथ की नगरी वाराणसी में होती है। रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर भगवान शिव के गण उनपर और जनता पर जमकर अबीर-गुलाल उड़ाते हैं। आंवले के पूजन के कारण इस एकादशी को आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आंवला एकादशी 14 मार्च को है। आइए जानते हैं यहां आमलकी एकादशी के मुहूर्त पूजा विधि और कथा के बारे में।

पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए थे। एक बार ब्रह्मा जी ने स्वयं को जानने के लिए परब्रह्म की तपस्या करनी आरंभ कर दी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हो गए। श्री विष्णु को देखते ही ब्रह्मा जी के नेत्रों से अश्रुओं की धारा निकल पड़ी। कहते हैं आंसू विष्णु जी के चरणों पर गिरने के बाद आंवले के पेड़ में तब्दील हो गए थे। भगवान विष्णु ने कहा कि आज से ये वृक्ष और इसका फल मुझे अत्यंत प्रिय है और जो भी भक्त आमलकी एकादशी पर इस वृक्ष की पूजा विधिवत तरीके से करेगा, उसके सारे पाप कट जाएंगे और वो मोक्ष की ओर अग्रसर होगा। तभी से आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है ।

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