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- इस दिन है आमलकी एकादशी...
हिंदू धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व माना गया है, लेकिन इन सब में आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम स्थान पर रखा गया है। आमलकी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आमलकी एकादशी को कुछ लोग आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहते हैं। ये होली से कुछ दिन पहले पड़ती है, इसलिए इसे रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी का व्रत 14 मार्च 2022 को सोमवार के दिन रखा जाएगा। तो चलिए जानते हैं आमलकी एकादशी से जुड़ी खास बातें....
हिंदू पंचांग के अनुसार वैसे तो एक साल में 24 या 25 एकादशी व्रत आते हैं। वहीं आमलकी एकादशी फाल्गुन माह में होली के त्योहार के पहले आती है। इस साल 14 मार्च 2022 को आमलकी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। हालांकि उदया तिथि के अनुसार से ये व्रत 14 मार्च को रखा जाएगा। मान्यता के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो इसे और भी शुभ और फलदायी बनाएगा।
आमलकी एकादशी पर आंवले का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था। मान्यता है कि इस पेड़ के हर एक भाग में ईश्वर का वास है। कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आवंले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी कहा जाता है कि आवंले के वृक्ष में श्री हरि और माता लक्ष्मी का वास होता होता है।