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धर्म-अध्यात्म
अमावस्या के दिन व्रत के साथ कथा का भी विशेष महत्व है,आइए जानें सोमवती अमावस्या की कथा
Kajal Dubey
24 Jan 2022 12:51 PM GMT
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हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन किया गया स्नान, दान और ध्यान से पुण्य का फल मिलता है. माघ मास में आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) के नाम से जाना जाता है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जानते हैं. इस बार साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी के दिन पड़ रही है.
इसे माघी अमावस्या (Maghi Amavasya 2022) और मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखकर पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और 108 चीजें दान करके परिक्रमा करते हैं. अमावस्या के दिन व्रत (Amavasya Vrat) के साथ कथा का भी विशेष महत्व है. आइए जानें सोमवती अमावस्या की कथा.
सोमवती अमावस्या कथा (Somvati Amavasya Katha)
एक गरीब सुशील ब्राह्मण कन्या का विवाह इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि उनके पास धन नहीं था. बेटी के विवाह न होने से परेशान पिता ने एक साधु से इसका उपाय पूछा. साधु ने बताया कि एक गांव में कुछ दूर सोना नाम की धोबी महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है. वह संस्कार संपन्न और पति परायण है. अगर कन्या उसकी अच्छे से सेवा करें और कन्या की शादी में अपनी मांग का सिन्दूर लगा दे, तो ऐसा करने से कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है. साधु द्वारा बताई गई ये बात ब्रह्रामण ने अपनी पत्नी को बताई.
साधु के बताए अनुसार कन्या रोज धोबिन को बिना बताए उसकी सेवा करने लगी. एक दिन धोबिन ने बहू से कहा कि रोज सुबह तुम सारे कार्य कर लेती हो और पता भी लगता. धोबिन की बात सुन बहू ने कहा कि मां जी मुझे लगा कि आप सारे कार्य करती हो. बहू की बातों से हैरान हो धोबिन ने नजर रखनी शुरू की. तब उसने देखा कि कन्या आती है और सारा कार्य करके चली जाती है. रोज-रोज ऐसा देख एक दिन वो जाने लगी तो धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी और पूछा कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हो. धोबिन के पूछने पर कन्या ने साधु की सारी बात उसको बता दी.
सोना धोबिन ने जैसे ही अपनी मांग का सिन्दूर कन्या की मांग में लगाया, उसका पति गुजर गया. इस बारे में जब उसको पता लगा तो वह निराजल ही घर छोड़कर चली गई. रास्ते में उसे पीपल का पेड़ मिला. संयोगवश उस दिन सोमवती अमावस्या भी थी. वहां उसने ईंट के टुकड़ों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद ही जल ग्रहण किया. सोना धोबिन के ऐसा करते ही उसके पति में जान आ गई है. कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे अनन्त फल की प्राप्ति होती है.
पीपल की परिक्रमा देती है फल
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ को भंवरी दी जाती है. ऐसा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है. वहीं, सोमवती अमावस्या के दिन खूब दान करना चाहिए. साथ ही, सूत से 108 पीपल की परिक्रमा लगानी चाहिए.
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