धर्म-अध्यात्म

Vishnu Chalisa के पाठ से पूरी होंगी सभी मनोकामना, मिलेगा मनचाहे परिणाम

Tara Tandi
15 Jan 2025 1:12 PM GMT
Vishnu Chalisa के पाठ से पूरी होंगी सभी मनोकामना, मिलेगा मनचाहे परिणाम
x
Vishnu Chalisa ज्योतिष न्यूज़: हिंदू धर्म में रोजाना सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाती हैं। मान्यता है कि प्रतिदिन ईश्वर की आराधना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। परंतु दिन के अनुसार पूजा-अर्चना करने पर साधक को मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो सप्ताह में सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होते हैं, इनमें गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और उपवास रखने से श्री हरि विष्णु जी प्रसन्न होते हैं, और उनके प्रसन्न होने पर भक्तों के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। वहीं अगर आप गुरुवार का व्रत रखने में असमर्थ है, तो स्नान के बाद श्री विष्णु की उपासना करें, इस दौरान विष्णु चालीसा का पाठ करना न भूलें, इससे व्यक्ति की सभी मनोकामना पूरी होती हैं। ऐसे में आइए इस चालीसा के
बारे में जानते हैं।
विष्णु चालीसा
दोहा
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥
चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥
पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥
अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥
असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥
Next Story