धर्म-अध्यात्म

शादी-विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य इस दौरान नहीं हो पाएंगे,करना होगा अभी और इंतजार

Kajal Dubey
13 Feb 2021 8:19 AM GMT
शादी-विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य इस दौरान नहीं हो पाएंगे,करना होगा अभी और इंतजार
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शुक्र के अस्त होने से मांगलिक कार्यों पर रोक

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सूर्यास्त के बाद आकाश में पश्चिम दिशा में जो सबसे चमकदार और सबसे बड़ा तारा दिखाई देता है, दरअसल वह तारा नहीं बल्कि शुक्र ग्रह (Venus Planet) है जिसे शाम का तारा भी कहा जाता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र (Jyotish) में शुक्र को बेहद अहम और शुभ ग्रह के तौर पर माना जाता है. इसका कारण ये है कि शुक्र ग्रह को प्रेम (Love) और विवाह (Marriage) का कारक माना गया है और ऐसी मान्यता है कि शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही व्यक्ति को भौतिक सुख, भोग-विलास, सौन्दर्य, कला-प्रतिभा, रोमांस और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है.

शुक्र के अस्त होने से मांगलिक कार्यों पर रोक
जिस प्रकार गुरु यानी बृहस्पति ग्रह का उदय मांगलिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है ठीक उसी तरह शुक्र तारा या शुक्र ग्रह का उदय होना भी सभी मांगलिक कार्यों के लिए बेहद अहम होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार:
- शुक्र तारा माघ महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 फरवरी 2021 दिन रविवार को अस्त हो रहा है
- चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 18 अप्रैल 2021 को शुक्र ग्रह उदित होगा
शुक्र ग्रह के अस्त होने की वजह से 18 अप्रैल तक शादी-विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य जैसे- गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ आदि पर रोक जारी रहेगी. वहीं दूसरी तरफ 17 जनवरी से अस्त चल रहा गुरु या बृहस्पति ग्रह 14 फरवरी को उदित हो रहा है.
शुक्र ग्रह के अस्त होने का अर्थ
किसी भी ग्रह का सूर्य के पास आना उसे अस्त कर सकता है. इसी तरह जब शुक्र ग्रह का गोचर होता है और वह किसी विशेष स्थिति में सूर्य के बेहद समीप आ जाता है कि उन दोनों के बीच केवल 10 अंश का ही अंतर रह जाता है तो ऐसी स्थिति में शुक्र ग्रह अस्त हो जाता है. शुक्र के अस्त होने पर उसके मुख्य कारक तत्वों में कमी आ जाती है और ग्रह शुभ फल देने में कमी कर सकता है. सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों मुख्य रूप से शादी-विवाह के लिए शुक्र का अस्त होना या डूब जाना अच्छा नहीं माना जाता. यही कारण है कि जब शुक्र ग्रह अस्त रहता है उस दौरान विवाह करना वर्जित होता है और शुक्र के दोबारा उदित होने पर ही मांगलिक कार्य किए जाते हैं.


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