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बसंत पंचमी पर किए जाते हैं सभी मांगलिक कार्य, बनता है विवाह का शुभ योग
माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष पर्व पर विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। मां सरस्वती के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाने वाला बसंत पंचमी का पर्व इस बार 5 फरवरी को मनाया जा रहा है। बसंत पंचमी को बागीश्वरी जयंती और श्रीपंचमी भी कहा जाता है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, कोई नया काम शुरू करना, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश या अन्य कोई शुभ काम करना अच्छा माना जाता है। यहां तक कि विवाह के लिए भी इस दिन बेहद उत्तम योग का निर्माण होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विवाह के लिए सर्वश्रेष्ठ संयोग और अबूझ मुहुर्त होता है। अबूझ विवाह मुहूर्त से यहां अभिप्राय उन जोड़ों से हैं जिनके विवाह के लिए कोई मुहूर्त नहीं निकल पाता, वो बेझिझक बसंत पंचमी के दिन विवाह कर सकते हैं।
बसंत पंचमी के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन संस्कार, कोई नई विद्या आरंभ करना, गृह प्रवेश, अन्नप्राशन संस्कार, कोई नया काम शुरू करना या अन्य कोई भी शुभ काम करना शुभ माना जाता है। इस साल बसंत पंचमी पर दो शुभ योग भी बन रहे हैं। बसंत पंचमी के दिन दोषरहित परम श्रेष्ठ योग के साथ साथ रवि योग लगने से है शुभ कार्य परिपूर्ण होता है। एक मान्यता यह भी है कि बसंत पंचमी के दिन अमृत सिद्धियोग भी होता है जिसमें पूरे दिन जो भी कार्य किया जाए, वो शुभ संपन्न होते हैं। इसलिए अबूझ मुहूर्त के माध्यम से बसंत पंचमी के दिन आसानी से विवाह सम्पन्न किया जा सकता है।