धर्म-अध्यात्म

अक्षय तृतीया आज, जानिए महत्व और पूजा मुहूर्त

Subhi
3 May 2022 2:25 AM GMT
अक्षय तृतीया आज, जानिए महत्व और पूजा मुहूर्त
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आज अक्षय तृतीया है। शास्त्रों में अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है यानी ऐसी तिथि जिसमें किसी तरह का शुभ कार्य या शुभ खरीदारी करने के लिए मुहूर्त नहीं देखा जाता है। बिना शुभ मुहूर्त के सभी तरह के शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है।

आज अक्षय तृतीया है। शास्त्रों में अक्षय तृतीया एक अबूझ मुहूर्त है यानी ऐसी तिथि जिसमें किसी तरह का शुभ कार्य या शुभ खरीदारी करने के लिए मुहूर्त नहीं देखा जाता है। बिना शुभ मुहूर्त के सभी तरह के शुभ कार्य की शुरुआत की जा सकती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 03 मई को है। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय का मतलब होता है जिसका कभी भी क्षय या नाश न होना। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन शुभ खरीदारी या शुभ कार्य करने पर हमेशा इसमें वृद्धि होती है। अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य करने, दान, स्नान और जप आदि करने पर कभी भी शुभ फल की कमी नहीं होती है। वहीं खासतौर पर अक्षय तृतीया के दिन विशेष तौर पर सोने के आभूषण की खरीदारी की जाती है। मान्यता है इस दिन सोने और चांदी के आभूषण खरीदने से व्यक्ति के जीवन में माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है जिससे व्यक्ति का जीवन सुख,समृद्धि और वैभव का वास रहता है। आइए जानते हैं अक्षय तृतीया का महत्व और खास बातें...

अक्षय तृतीया का महत्व

शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया पूरे एक वर्ष में उन साढ़े तीन शुभ मुहूर्त में से एक जिसे अबूझ मुहूर्त माना गया है। अबूझ मुहूर्त में किसी भी तरह के शुभ कार्य को करने के लिए पंडित से मुहूर्त नहीं निकला जाता है। अक्षय तृतीया के दिन सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन सोने से बने आभूषण की खरीदारी करना बहुत ही शुभ होता है।

अक्षय तृतीया की तिथि पर भगवान परशुराम और हयग्रीव अवतार हुए थे।

त्रेतायुग का प्रांरभ भी इसी तिथि को हुआ था।

अक्षय तृतीया के दिन उत्तराखंड स्थिति श्री बद्रीनाथ जी के कपाट खुलते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था।

अक्षय तृतीया

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही द्वापर युग का समापन हुआ था।

धार्मिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे थे।

अक्षय तृतीया के शुभ दिन वृंदावन के बांके बिहारी जी के मंदिर में श्री विग्रह के चरणों के दर्शन होते हैं। साल में केवल एक बार इसी तिथि के दिन ही ऐसा होता है।

अक्षय तृतीया के दिन से ही वेद व्यास और भगवान गणेश ने महाभारत ग्रंथ लिखना शुरू किया था।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था।

अक्षय तृतीया के शुभ दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया दान-पुण्य कर्म का फल कभी नष्ट नहीं होता।इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बिना पंचाग देखे किए जाते हैं। अक्षय तृतीया के दिन विवाह करना, सोना खरीदना, माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है


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