धर्म-अध्यात्म

Akhuratha Sankashti Chaturthi :आज रखा जाएगा साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

Renuka Sahu
18 Dec 2024 1:22 AM GMT
Akhuratha Sankashti Chaturthi :आज  रखा जाएगा साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
x
Akhuratha Sankashti Chaturthi :हिंदू धर्म में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. यह पर्व प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को समर्पित होता है. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. यह वर्ष की अंतिम संकष्टी चतुर्थी होती है. इस दिन भगवान गणेश विशेष कृपा पाने के लिए उनकी विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सुख, शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है| वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 दिसंबर की सुबह 10 बजकर 43 मिनट से अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का आरंभ होगा, और इसका समापन अगले दिन 19 दिसंबर, दिन वीरवार सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर होगा. इस तरह इस वर्ष अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 दिसंबर, दिन बुधवार को रखा जाएगा|
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगा|
विजय मुहूर्त : दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से लेकर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.
गोधूलि मुहूर्त : शाम 5 बजकर 25 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 52 मिनट तक रहेगा.
अमृत काल : सुबह 6 बजकर 30 मिनट से लेकर 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा.
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा विधि
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करें और स्नान करें. इसके बाद गणेश जी का स्मरण करें और व्रत का संकल्प लें. अब घर के मंदिर या पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करें और गंगाजल से पवित्र करें. अब एक चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर गणेश जी की प्रतिमा या
तस्वीर
को स्थापित करें. अब गणेश जी की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं. अब गणेश जी को कुमकुम, चंदन, फल और फूल अर्पित करें|
इसके बाद गणेश जी को मोदक, दूर्वा, फल और मिठाई का भोग लगाएं. पूजा में गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. मंत्र जाप के बाद गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें. पूजा का समापन आरती के साथ करें. इस दिन व्रत रखा जाता है और एक समय भोजन किया जाता है. चंद्रदर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें|
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का महत्व -
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का निवारण होता है और सुख-समृद्धि का आगमन होता है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, मान्यता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं और विघ्न दूर हो जाते हैं. गणेश जी बुद्धि के देवता हैं, इस दिन उनकी पूजा करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान में वृद्धि होती है|
मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश से जो भी मनोकामना मांगी जाती है, वह अवश्य पूरी होती है. गणेश जी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. धन-धान्य की प्राप्ति होती है और व्यापार में वृद्धि होती है. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. इस व्रत को करने से जातक को दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है|
Next Story