धर्म-अध्यात्म

Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी की जानें पूजा विधि और ये व्रत कथा

Deepa Sahu
22 Oct 2021 3:18 PM GMT
Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी की जानें पूजा विधि और ये व्रत कथा
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संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मंशा से किया।

Ahoi Ashtami 2021: संतान की लंबी आयु और संतान प्राप्ति की मंशा से किया जाने वाला अहोई अष्टमी व्रत इस वर्ष 28 अक्टूबर (गुरुवार) के दिन किया जाएगा. कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है. ये व्रत करवा चौथ के तीन दिन बाद किया जाता है. इस दिन माता अहोई की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती और उनके पुत्रों की भी पूजा की जाती है. मां अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं और श्रद्धा भाव से पूजा करती हैं. आइए जानते हैं अहोई अष्टमी कि पूजन विधि और व्रत कथा के बारे में.

अहोई अष्टमी व्रत की पूजन विधि
-माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें.
-अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं.
-शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखें.रोली-चावल से माता की पूजा करें.
-माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं.
-कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें.
-इसके उपरान्त तारों को अर्घ्य देकर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें.अहोई अष्टमी व्रत कथा
अहोई अष्टमी कथा के अनुसार एक शहर में एक साहूकार के 7 लड़के रहते थे. साहूकार की पत्नी दिवाली पर घर लीपने के लिए अष्टमी के दिन मिट्टी लेने गई. जैसे ही मिट्टी खोदने के लिए उसने कुदाल चलाई वह साही की मांद में जा लगी, जिससे कि साही का बच्चा मर गया. साहूकार की पत्नी को इसे लेकर काफी पश्चाताप हुआ, इसके कुछ दिन बाद ही उसके एक बेटे की मौत हो गई. इसके बाद एक-एक करके उसके सातों बेटों की मौत हो गई. इस कारण साहूकार की पत्नी शोक में रहने लगी. एक दिन साहूकार की पत्नी ने अपनी पड़ोसी औरतों को रोते हुए अपना दुख की कथा सुनाई, जिस पर औरतों ने उसे सलाह दी कि यह बात साझा करने से तुम्हारा आधा पाप कट गया है.
अब तुम अष्टमी के दिन साही और उसके बच्चों का चित्र बनाकर मां भगवती की पूजा करो और क्षमा याचना करो. भगवान की कृपा हुई तो तुम्हारे पाप नष्ट हो जाएंगे. ऐसा सुनकर साहूकार की पत्नी हर साल कार्तिक मास की अष्टमी को मां अहोई की पूजा व व्रत करने लगी. माता रानी की कृपा से साहूकार की पत्नी फिर से गर्भवती हो गई और उसके कई साल बाद उसके फिर से सात बेटे हुए. तभी से अहोई अष्टमी का व्रत चला आ रहा है.
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