धर्म-अध्यात्म

मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के बाद जरूर पढ़े ये आरती, दूर होंगी परेशानियां

Triveni
6 July 2021 3:42 AM GMT
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा के बाद जरूर पढ़े ये आरती, दूर होंगी परेशानियां
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हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हनुमान जी अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों और परेशानियों को दूर करते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं. उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. मंगलवार (Tuesday) के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है. हनुमान जी बल, बुद्धि के निधान है, अष्ट सिद्घि और नौ निधि के दाता हैं. अंजनी पुत्र हनुमान जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मंगलवार के दिन हनुमान जी का व्रत रखने, ब्रह्मचर्य का पालन करने और पूजा करने का विधान है. मंगलवार को उनकी पूजा के बाद अमृतवाणी और श्री हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने से बजरंगबली खुश होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं लेकिन हिंदू परंपरा के अनुसार किसी भी भगवान की पूजा का समापन उनकी आरती से होता है. हनुमान जी की पूजा के अंत में उनकी आरती जरूर करनी चाहिए.

हनुमान जी की आरती कपूर से करना शुभ माना जाता है. थाली में सिंदूर या रोली से स्वास्तिक बना कर उस पर फूल और अक्षत डालें. इसके बाद में थाली में किसी कटोरी या दियाली में कपूर जला कर हनुमान जी की आरती करनी चाहिए. आरती के बाद हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएं. मंगलवार को नियमित रूप से ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी.
हनुमान जी की आरती -
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे।
पैठी पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।
बाएं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।


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