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धर्म-अध्यात्म
आखिर कौन है देवगुरु बृहस्पति, जानिए धार्मिक और ज्योतिष महत्व
Bhumika Sahu
20 Jan 2022 5:27 AM GMT
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सौरमंडल में स्थित बृहस्पति ग्रह का न सिर्फ ज्योतिषीय बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी विशेष स्थान है। देवताओं के गुरु माने जाने वाले बृहस्पति को ज्ञान और सौभाग्य का देवता माना गया है. किसी भी जातक की कुंडली और जीवन में देवगुरु बृहस्पति के होने का महत्व जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।
बृहस्पति देवता (Lord Brihaspati) को देवताओं का गुरु माना गया है, जो कि किसी भी व्यक्ति को ज्ञान और सौभाग्य का वरदान प्रदान करते हैं. मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा हो जाए तो उसे जीवन में किसी चीज की कोई कमी नहीं रहती है.
पुराणों में बृहस्पति को महर्षि अंगिरा का पुत्र बताया गया है. मान्यता है कि महर्षि अंगिरा की पत्नी को जब बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने भगवान ब्रह्मा जी से प्रार्थना की. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें एक व्रत बताया जो कि पुंसवन व्रत कहलाता है. इसके बाद महर्षि अंगिरा की पत्नी ने इस व्रत की पूरी जानकारी श्री सनत् कुमारों से लेकर अपना व्रत पूर्ण किया. जिससे उन्हें एक बेहद तेजस्वी संतान की प्राप्ति हुई, जिन्हें बृहस्पति के नाम से जाना जाता है.
ज्योतिष (Astrology) में जिस बृहस्पति के शुभ होने पर व्यक्ति को सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है, उसे लंबे शरीर वाला, सोने के समान रंग वाला, सुंदर वाणी बोलने वाला, चतुर, उदार, और उच्च बुद्धि वाला होता है. देव गुरु चारों हाथों में क्रमशः रुद्राक्ष, वरमुद्रा, शिला और दंड धारण किए हुए हैं.
ज्योतिष के अनुसार यह बुद्धि, विवेक, यश, सम्मान, धन, संतान का प्रतीक है. ज्योतिष के अनुसार किसी भी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह सूर्य के साथ सात्विक, चंद्रमा के साथ राजसी और मंगल के साथ तामसी व्यवहार करता है. ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति के शुभ होने पर व्यक्ति अच्छे स्वभाव वाला, आध्यात्मिक और पारलौकिक सुख में रुचि रखने वाला होता है.
ज्योतिष में बृहस्पति को सूर्य से भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि सूर्य भले ही सभी ग्रहों का राजा हो लेकिन गुरु के आने पर राजा को भी उसके आदर में खड़े होकर सम्मान करना पड़ता है. गुरु का अर्थ ही होता है बड़ा, अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला. इसी प्रकार देवगुरु भी किसी भी जातक को दुर्भाग्य से सौभाग्य की ओर ले जाते हैं.
ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जातक की कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर होकर अशुभ फल दे रहा हो तो उसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ गुरुवार का व्रत रखना चाहिए. साथ ही साथ गुरुवार के दिन बृहस्पति से संबंधित चीजें जैसे चने की दाल, पीले फल, गुड़, पीले वस्त्र और कुछ दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए. इसी प्रकार देवगुरु बृहस्पति की कृपा पाने के लिए 'ॐ श्रीं श्रीं गुरवे नमः' मंत्र का जप करना चाहिए. यदि आप चाहें तो आप बृहस्पति के रत्न पुखराज को किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर धारण कर सकते हैं.
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