- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- 12 साल बाद इस राशि में...
हर ग्रह एक निश्चित समय पर अपना स्थान परिवर्तन करता है. ग्रहों का अपने स्थान से हिलना भी सभी 12 राशियों के जीवन पर प्रभाव डालता है. बीते दिनों 12 साल बाद गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में वक्री हुए हैं. और इस अवस्था में वे 24 नवंबर तक रहने वाला हैं. गुरु के वक्री होना का प्रभाव वैसे तो सभी राशियों के जीवन पर पड़ रहा है, लेकिन ये 3 राशियों पर इसका खास प्रभाव दिखने वाला है. गुरु के वक्री होने से इन 3 राशि के जातकों को कारोबार और करियर में सुनहरी सफलता हासिल होगी.
वृष राशि- गुरु के मीन में वक्री करने से इन राशि वालों के अच्छे दिन शुरू हो गए. बता दें कि गुरु इस राशि से 11 वें स्थान में वक्री हुई हैं. इसे इनकम और लाभ का स्थान माना जाता है. गुरु के वक्री होने से इनकी इनकम में वृद्धि की संभावना है. नए-नए माध्यम से आय होगी. इस दौरान व्यापार में अच्छा धनलाभ होने की संभावना है. कोई जरूरी डील फाइनल हो सकती है. वाहन और प्रापर्टी खरीदने के लिए ये समय उपयुक्त है.
बता दें कि गुरु आपके 8वें स्थान के स्वामी हैं इसलिए रिसर्च से जुड़े लोगों के लिए ये समय शानदार रहेगा. किसी पुरानी बीमारी से छुटकारा मिल सकता है. ओपल रत्न धारण करना आपके लिए लकी साबित हो सकता है.
मिथुन राशि- इस राशि के लोगों को इस दौरान कारोबार और व्यापार में आशातीत सफलता मिलेगी. गुरु ग्रह आपके दशम भाव में वक्री हुए हैं. इस भाव को नौकरी, बिजनेस और कार्यक्षेत्र का भाव माना जाता है. इस अवधि में नई नौकरी का प्रस्ताव आ सकता है. प्रमोशन और इंक्रीमेंट की संभावना नजर आ रही है. व्यापार में नया ऑर्डर धनलाभ कराएगा. नए व्यावसायिक संबंध बनेंगे. व्यापार में विस्तार होगा और अच्छा लाभ होने की संभावना है. कोर्ट- कचहरी के मामलों में सफलता मिलेगी. इस राशि के जातकों के लिए पन्ना रत्न लाभकारी रहेगा.
कर्क राशि- गुरु के वक्री होने से आकस्मिक धन लाभ की संभावना नजर आ रही है. गुरु ग्रह आपके नवम भाव में वक्री हुए हैं. इसे भाग्य और विदेश यात्रा का स्थान माना जाता है. इसलिए इस दौरान भाग्य का पूरा साथ मिलेगा. अटके हुए काम में सफलता हासिल करेंगे. कारोबार के संबंध से छोटी या बड़ी यात्रा करने की संभावना है. और ये यात्रा आपके लिए लाभप्रद रहेगी. विदेश से जुड़े व्यापार वाले लोगों के लिए भी ये समय अनुकूल है.
बता दें कि गुरु आपके छठे भाव के स्वामी हैं. इसे रोग, कोर्ट- कचहरी और शत्रु का भाव माना जाता है. गुरु के मीन में वक्री होने से साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी. गुप्त शत्रुओं पर विजय पाने में सफल होंगे. इसके साथ ही, आपकी राशि के स्वामी चंद्रमा की गुरु के साथ मित्रता का भाव होने के कारण ये वक्री आपके लिए शुभ फलदायी साबित होगी.