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- अधिक मास पूर्णिमा
हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है। इस वर्ष 1 अगस्त को अधिक मास की पूर्णिमा है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान कर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा उपासना करने से साधक द्वारा अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही साधक की आय, आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, अधिक मास की पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो अधिक मास की पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त में (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) 03 बजकर 51 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 2 अगस्त को देर रात 12 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 1 अगस्त को अधिक मास की पूर्णिमा है। साधक 1 अगस्त को गंगा स्नान कर सकते हैं।
महत्व
पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान, पूजा और दान करने से साधक पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। अतः पूर्णिमा तिथि पर श्रद्धालु गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। इस दिन प्राचीन मंदिरों के प्रांगण में भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। आर्थिक रूप से संपन्न लोग गरीबों एवं जरूरतमंदों को भोजन कराते हैं।
पूजा विधि
पूर्णिमा तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें और भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें करें। प्रातः कालीन कार्यों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल में काले तिल और कुमकुम मिलाकर अर्घ्य दें। तदोपरांत, पंचोपचार कर भगवान विष्णु की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, तिल जौ, अक्षत, चंदन और हल्दी से करें। भगवान विष्णु को खीर अति प्रिय है। अतः नारायण को केसर मिश्रित खीर का भोग लगाएं। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। पूजा समाप्त होने के बाद ब्राह्मणों एवं जरूरतमंदों को भोजन कराएं और दान दक्षिणा दें।