धर्म-अध्यात्म

आचार्य ने तीन स्थितियों में संतोष रखने और तीन स्थितियों में असंतोष रखने की बात कही है

Bhumika Sahu
21 Jan 2022 2:03 AM GMT
आचार्य ने तीन स्थितियों में संतोष रखने और तीन स्थितियों में असंतोष रखने की बात कही है
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आचार्य चाणक्य ने जीवन में संतोष और असंतोष दोनों की उपयोगिता का जिक्र किया है. बस व्यक्ति को इस बात की समझ होना जरूरी है कि कहां पर संतोष करना चाहिए और कहां असंतोष. यहां जानिए आचार्य चाणक्य का इस बारे में क्या कहना था.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कहा जाता है कि व्यक्ति को जीवन में हर परिस्थिति को स्वीकार करके संतुष्ट रहना चाहिए और जो प्राप्त करना है, उसके लिए प्रयास करते रहना चाहिए. लेकिन आचार्य चाणक्य ने सं​तुष्टि और असं​तुष्टि दोनों के महत्व के बारे में बताया है. अपने ग्रंथ चाणक्य नीति (Chanakya Niti) में आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) ने कुछ विशेष परिस्थितियों का जिक्र किया है और बताया है कि जीवन में संतुष्टि (Satisfaction) और असं​तुष्टि (Dissatisfaction) दोनों की उपयोगिता है, बस व्यक्ति को उन्हें समझने की जरूरत है. कुछ ​जगहों पर इंसान के लिए असंतुष्टि बहुत जरूरी होती है, क्योंकि वो असंतोष उसे जीवन में आगे बढ़ाने और उसका भला करने के लिए होता है. जानिए आचार्य चाणक्य ने लोगों के लिए किन परिस्थितियों में संतुष्ट रहकर और किन परिस्थितियों में असंतुष्ट रहकर अपना भला करने की बात कही है.

आचार्य ने लिखा है कि-
संतोषषस्त्रिषु कर्तव्य: स्वदारे भोजने धने त्रिषु चैव न कर्तव्यो अध्ययने जपदानयो:
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य ने तीन स्थितियों में संतोष रखने और तीन स्थितियों में असंतोष रखने की बात कही है.
इन स्थितियों में रखें संतोष
1. आचार्य चाणक्य के अनुसार पत्नी अगर सुंदर न हो, तो भी व्यक्ति को संतुष्ट रहना चाहिए और किसी अन्य ​स्त्री की ओर आकर्षित नहीं होना चाहिए. वरना व्यक्ति अपने लिए स्वयं ही मुसीबतों को आमंत्रित कर लेता है.
2. भोजन जैसा भी मिले, उसमें संतुष्ट रहना चाहिए और उसे खुशी के साथ ग्रहण करना चाहिए. कभी खाने की बुराई न करें और न ही थाली में भोजन छोड़ें. आप भाग्यशाली हैं कि परमेश्वर ने आपको भरपेट भोजन दिया है.
3. व्यक्ति को अपनी आय में संतोष करके खुश रहना चाहिए. अपने घर के खर्च को आय के मुताबिक रखना चाहिए और आगे बढ़ने के प्रयास करने चाहिए. लेकिन कभी लालच में आकर दूसरों के धन पर नजर नहीं डालनी चाहिए.
इन स्थितियों में असंतुष्ट रहना चाहिए
1. व्यक्ति को शिक्षा और ज्ञान के मामले में असंतुष्ट रहना चाहिए. आप जितना असंतुष्ट रहेंगे, उतने ही काबिल और योग्य बनेंगे. शिक्षा और ज्ञान आपको मान, सम्मान और धन सब कुछ दिला सकते हैं.
2. दान करने के मामले में व्यक्ति को असंतुष्ट रहना चाहिए. दान से हमें पुण्य मिलता है और हमारा जीवन सुधरता है.
3. परमेश्वर के मंत्र का जितना जाप करेंगे, उतना ही अपना भला कर लेंगे. इसलिए मंत्र के जाप में कभी सं​तुष्ट न हों.


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