धर्म-अध्यात्म

आचार्य चाणक्य की इस एक बात का रखेंगे ध्यान, तो जीवन में कभी नहीं होंगे दुखी

Subhi
11 April 2022 3:33 AM GMT
आचार्य चाणक्य की इस एक बात का रखेंगे ध्यान, तो जीवन में कभी नहीं होंगे दुखी
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भारत के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से हमेशा समाज के कल्याण की बात की हैं। बुद्धिमत्ता के धनी कौटिल्य अपनी नीतियों के बल से ही हर एक व्यक्ति को खुशहाली का रास्ता दिखा सकते हैं।

भारत के प्रसिद्ध विद्वान आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से हमेशा समाज के कल्याण की बात की हैं। बुद्धिमत्ता के धनी कौटिल्य अपनी नीतियों के बल से ही हर एक व्यक्ति को खुशहाली का रास्ता दिखा सकते हैं। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने मनुष्य को एक ऐसी चीज के बारे में बताया है जिसका पालन करके व्यक्ति कभी भी दुखी नहीं रह सकता है।

श्लोक

आसारभूतं तदुपासनीयं हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात्॥

आचार्य चाणक्य इस श्लोक के माध्यम से कहते हैं कि शास्त्र, विद्याएं अनेक हैं, लेकिन मनुष्य का जीवन बहुत छोटा है जिसमें विभिन्न तरह के अनेकों विघ्न हैं । इसलिए जिस तरह एक हंस दूध-पानी मिले दूध से सिर्फ दूध पी लेता है और पानी को छोड़ देता है उसी तरह व्यक्ति कों भी अपने काम की बातें ग्रहण कर लेनी चाहिए तथा बाकी को छोड़ देना चाहिए।

आचार्य चाणक्य बताते हैं कि संसार में शास्त्र इतने ज्यादा है कि उनकी गिनती करने बैठे तो भूल जाएं। इसी तरह कई तरह की विद्याएं है जिनमें से हर व्यक्ति कुछ ही अपनी जीवन में ग्रहण कर पाता है। व्यक्ति के जीवन में हर एक चीज के लिए समय की सीमा है। इसलिए व्यक्ति को हर एक चीज अपने अनुरूप ही सीखनी चाहिए या फिर शास्त्र पढ़ना चाहिए।

एक व्यक्ति का जीवन बहुत ही कम होता है। कहा जाता है कि अगर कुछ सीखने की ललक हो तो उम्र भी छोटी पड़ जाती है लेकिन सीखने की चीजें खत्म नहीं होती है। मनुष्य का जीवन काफी छोटा होता है जिसमें वह कई तरह की परेशानियों से घिरा होता है। बचपन से लेकर बुढ़ापा तक कोई न कोई कष्ट आता रहता है जिससे वह लड़कर किसी न किसी तरह से हरा देता है। लेकिन फिर दूसरी परेशानी उसकी चौखट में खड़ी होती है। ऐसे में आचार्य कहते हैं कि व्यक्ति को एक हंस की तरह होना चाहिए।

आचार्य चाणक्य हंस का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अगर व्यक्ति हंस के सामने दूध में पानी मिलाकर रखता है तो वह सिर्फ दूध पी लेगा और पानी वैसे ही पड़ा रहेगा। इसी तरह एक व्यक्ति को भी अपना ऐसा व्यक्तित्व बनाना चाहिए कि जो उससे काम की बातें हो उसे झट से ग्रहण कर लें। लेकिन जो काम की न हो तो उसे बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना चाहिए। क्योंकि ये बेकार की बातें ही व्यक्ति का समय, दिमाग सब कुछ खराब कर देती हैं, जिससे वह जीवन में खुश नहीं रह पाता है। इसलिए अगर व्यक्ति चाहता है कि हमेशा हंसी-खुशी जीवन जिएं तो इसके लिए सिर्फ काम की बातें ही सुननी चाहिए।


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