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- आचार्य चाणक्य ने बताया...
ज्ञान की मदद से व्यक्ति किसी भी युद्ध को बड़ी आसानी से जीत सकता है। आचार्य चाणक्य ने बताया था कि ज्ञानी व्यक्ति अपने पूरे कुल, समाज और देश का नाम ऊंचा करता है। जिस व्यक्ति के भीतर ज्ञान की अविरल धारा बहती है वह हर क्षेत्र में सफलता हासिल करता है। वहीं एक मूर्ख व्यक्ति किसी भी स्थान पर केवल व्यर्थ की बातों में उलझा रहता है। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति (Chanakya Niti in Hindi) के माध्यम से ज्ञानी और मूर्ख व्यक्ति में अंतर समझाया है और यह भी बताया है कि मूर्खता और मूर्ख व्यक्ति से क्यों दूर रखना चाहिए।
बता दें आचार्य चाणक्य को विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में गिना जाता है। जिन्हें धर्म, अर्थ, राजनीति, कूटनीति का विश्लेषित ज्ञान था। उन्हीं के कारण ही पाटलिपुत्र में मौर्य वंश की स्थापना हुई और अचम्भित करने वाले कार्य हुए। उनके द्वारा रचित कई ग्रंथों में चाणक्य नीति को सबसे अधिक पढ़ा जाता है। अधिकांश युवा अपने जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आचार्य चाणक्य की इन नीतियों की सहायता लेते हैं।
चाणक्य नीति के इन बातों का रखें ध्यान
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते ।।
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि मूर्ख व्यक्ति की पूजा अर्थात उसे आदर और सम्मान केवल उसके घर पर प्राप्त होती है। एक मुखिया की पूजा उसके गांव में होती है। राजा को राज्य में पूजा जाता है और विद्वानों को सभी क्षेत्रों में पूजा जाता है। इसलिए जीवन में ज्ञान से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। इसका फल आपको जरूर प्राप्त होता है।
काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां ।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ।।
चाणक्य नीति के अनुसार ज्ञानी व्यक्ति अपना पूरा समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन में व्यतीत करते हैं। वहीं मूर्ख और अज्ञानी लोग अपना समय सोने, लड़ने और बुरी आदतों का पीछा करने में बिताते हैं। इसलिए व्यक्ति को अपना समय व्यर्थ के कार्यों से हटाकर रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए। इससे उस व्यक्ति के कौशल में और अधिक निखार आएगा।