धर्म-अध्यात्म

आचार्य चाणक्य भी इन 4 चीजों को मानते थे सर्वोपरि, इनसे बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं

Renuka Sahu
8 Jun 2022 1:47 AM GMT
Acharya Chanakya also believed in these 4 things as paramount, there is nothing in the world more than these
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फाइल फोटो 

चाणक्य नीति में आचार्य ने एक श्लोक के जरिए 4 चीजों को जिक्र किया है, जिन्हें संसार में सर्वोपरि बताया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य नीति में आचार्य ने एक श्लोक के जरिए 4 चीजों को जिक्र किया है, जिन्हें संसार में सर्वोपरि बताया गया है. आचार्य चाणक्य का मानना था कि संसार में इन 4 चीजों से बढ़कर कोई चीज नहीं है. श्लोक है- नान्नोदकसमं दानं न तिथिर्द्वादशी समा, न गायत्र्याः परो मन्त्रो न मातुर्दैवतं परम्.

इस श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि संसार में अन्न और जल से बढ़कर कोई अन्य दान नहीं है. ये दो ऐसी चीजें हैं, जो व्यक्ति की बुनियादी जरूरतें हैं. इनके बगैर जीवन संभव नहीं है. अगर आप जन कल्याण की मंशा से ये दो चीजें दान करते हैं तो समझिए आप महादान कर रहे हैं.
आचार्य चाणक्य का मानना था कि पंचांग की बारहवीं तिथि जिसे संस्कृत में द्वादशी कहा जाता है, इस तिथि से बढ़कर कोई तिथि नहीं है. ये तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है. यदि आपने भगवान विष्णु को प्रसन्न कर लिया तो जीवन में कोई कष्ट नहीं रहता. भगवान विष्णु ही संसार के पालनहार हैं. इस तिथि को उन्होंने सबसे ज्यादा शुभ माना है.
आचार्य का मानना था कि यदि मंत्रों का जाप करना ही है, तो गायत्री मंत्र का जाप करें. इस मंत्र से अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली कोई अन्य मंत्र नहीं है. गायत्री मंत्र व्यक्ति को धन, शक्ति, आयु और कीर्ति सब कुछ प्रदान करने में सक्षम है.
यदि रिश्तों की बात करें, तो आचार्य का मानना था कि इस संसार में मां से बढ़कर कोई अन्य रिश्ता नहीं है. मां अपने बच्चे की खुशी के दिल अपना सर्वस्व भी प्रसन्नता के साथ दे देती है. इसलिए मां को उन्होंने ईश्वर के समान माना है. आचार्य का मानना था कि यदि आपने अपनी मां की सेवा की, उनका आशीर्वाद प्राप्त कर लिया तो समझिए आपने ईश्वर का आशीष प्राप्त किया है.
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