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धर्म के अनुसार: घर की सुख शांति तभी बनेगी, जब आप इन आदतों से दूर रहोगे
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| कहा जाता है कि इंसान के हालात अक्सर उसकी अच्छी और बुरी आदतों का नतीजा होते हैं. भगवद् गीता में भी तमाम उन आदतों का जिक्र किया गया है जो व्यक्ति के जीवन की सुख शांति सब छीन लेती हैं. यहां हम आपको ऐसी ही छह आदतों के बारे मे बताने जा रहे हैं जिनसे जीवन में तौबा करना ही बेहतर है वर्ना इंसान का जीवन नर्क बन जाता है.
1- क्रोध को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है. क्रोध के दौरान व्यक्ति अक्सर गलत फैसले लेता है. शास्त्रों में बताया गया है कि क्रोध को असुरों का गुण बताया गया है. क्रोध व्यक्ति का विवेक हर लेता है. महाभारत का युद्ध क्रोधवश कुछ फैसले लेने का ही नतीजा था जिसने सब कुछ खत्म कर दिया था. इसलिए क्रोध करने की आदत को हमेशा के लिए बदल डालें.
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2- धर्मशास्त्रों में कामवासना को बर्बादी का कारण बताया गया है. कामुक व्यक्ति घर का धन दौलत, मान सम्मान, सुख शांति सब कुछ दांव पर लगा देता है. देवराज इंद्र ने भी इस कारण से कई बार अपनी सत्ता गंवाई है.
3- व्यक्ति का तीसरा सबसे बड़ा दुश्मन उसका अहंकार है. शास्त्रों में रावण, दुर्योधन, जरासंध, कंस, हिरण्यकश्यप जैसे तमाम लोगों का वर्णन किया गया है, जिसने अहंकार के चलते ही सब कुछ गंवा दिया.
4- अत्यधिक मोह भी विनाशकारी होता है. मोह के कारण व्यक्ति सही और गलत के बीच का अंतर समझ नहीं पाता है. ध्रतराष्ट्र के पुत्र मोहवश ही द्रौपदी का चीरहरण हुआ जो कि बाद में उनके कुल के विनाश का कारण हुआ.
5- लालच पांचवां कारण है जो मनुष्य को विनाश की ओर ले जाता है. शास्त्रों में कहा गया है संतोषम् परम सुखम् यानी सबसे बड़ा सुख संतोष है. कौरवों ने पांडवों के धन का लोभ किया इसलिए उनके पूरे परिवार का नाश हो गया.
6- द्वेष भी व्यक्ति के नाश का बड़ा कारण है. कर्ण महान योद्धा थे लेकिन उनके मन में अर्जुन के प्रति द्वेष की भावना थी. इस भावना ने कर्ण को खलनायक की श्रेणी में ला दिया और अर्जुन के हाथों ही मृत्यु के मुंह में पहुंचा दिया.