धर्म-अध्यात्म

हिंदू मान्यता के अनुसार सावन में पड़ने वाले मंगलवार के दिन यदि कोई सुहागिन महिला पूरे विधि-विधान से देवी का व्रत रखती है तो माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है

Neha Dani
10 July 2023 1:29 PM GMT
हिंदू मान्यता के अनुसार सावन में पड़ने वाले मंगलवार के दिन यदि कोई सुहागिन महिला पूरे विधि-विधान से देवी का व्रत रखती है तो माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है
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धर्म अध्यात्म : सावन के महीने में पड़ने वाला मंगलवार मां पार्वती का पावन स्वरूप मानी जाने वाली देवी मंगला गौरी की पूजा के लिए जाना जाता है. अखंड सौभाग्य का वरदान देने वाली मां मंगला गौरी का दूसरा व्रत कब पड़ेगा और क्या है इसका धार्मिक महत्व, जानने के लिए पढ़ें ये लेख. श्रावण मास में शिव संग शक्ति की उपासना का भी बहुत ज्यादा महत्व माना गया है और इसके लिए सावन के सोमवार की तरह मंगलवार के दिन मां पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप की पूजा का बहुत महत्व माना गया है. हिंदू मान्यता के अनुसार सावन में पड़ने वाले मंगलवार के दिन यदि कोई सुहागिन महिला पूरे विधि-विधान से देवी का व्रत रखती है तो माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हुए उसे अखंड सौभाग्य का वरदान प्रदान करती है तो वहीं यह व्रत कुंआरी कन्याओं को मनचाहा जीवनासाथी दिलाने का आशीर्वाद प्रदान करता है. श्रावण मास का दूसरा मंगला गौरी व्रत 11 जुलाई 2023 को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार सावन महीने का दूसरा मंगला गौरी व्रत इस मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि को पड़ रहा है. दूसरे मंगला गौरी व्रत वाले दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग के बीच सुकर्मा और धृति योग बनेंगे. इस दिन महिलाएं स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले मां पावर्ती और भगवान शिव का ध्यान करते हुए इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प करें.
इसके बाद ईशान कोण में बैठकर भगवान शिव-पार्वती का विधि-विधान से पूजन करें. मां मंगला गौरी के व्रत 16 की संख्या का बहुत ज्यादा माना गया है, ऐसे में पूजा में पुष्प, फल, श्रृंगार की सामग्री आदि जो भी चढ़ाना हो उसे इतनी ही मात्रा में चढ़ाएं. इसे बाद 16 दीपक जलाकर मंगला गौरी व्रत की कथा का पाठ और आरती करें. मंगला गौरी व्रत की पूजा में प्रयोग किया गया सामान किसी जरूरतमंद महिला को दान कर देना चाहिए. हिंदू धर्म में मंगला गौरी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इसी व्रत को करने के बाद माता पार्वती जी की भगवान शिव को पति के रूप में पाने की मनोकामना पूरी हुई थी. हिंदू मान्यता के अनुसार इस पावन दिन जो कोई भी महिला इस व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करती है उसे सुखी वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है और उसके जीवन में हमेशा मंगल ही मंगल होता है. इस व्रत के शुभ प्रभाव से उनके पति की आयु लंबी होती है और जीवनसाथी के साथ प्रेम और सामंजस्य बना रहता है.
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