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गीता अनुसार कलयुग में कर्म करना जरूरी है, जानें गीता जयंती का महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर वर्ष मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) को गीता जयंती मनाई जाती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अर्जुन (Arjun) को श्रीमद्भगवद्गीता (Bhagavad Gita) का दिव्य उपदेश दिया था, इसका उद्देश्य युगों-युगों तक मानवमात्र का कल्याण करना था. भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकली गीता का कलयुग में भी मनुष्य के बौद्धिक तथा नैतिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. गीता जयंती के अवसर पर श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश इस्कॉन मंदिर में 14 दिसंबर को प्रातः 9:30 बजे से श्रीमद्भगवद्गीता महायज्ञ होगा. इसमें भगवद्गीता के 700 श्लोकों की आहुति दी जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करने, उन्नति एवं सर्वांगीण विकास के लिए यज्ञ एक सर्वोच्च साधन है. आइए जानते हैं कि कलयुग में भी गीता अनुसार कर्म करना क्यों जरूरी है?