धर्म-अध्यात्म

चाणक्य के अनुसार ये चार बातें, किसी भी व्यक्ति के बुरे समय का कारण है हमेशा ध्यान रखें

Tara Tandi
24 March 2021 8:12 AM GMT
चाणक्य के अनुसार ये चार बातें, किसी भी व्यक्ति के बुरे समय का कारण है हमेशा ध्यान रखें
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आचार्य चाणक्य के बारे में काफी लोगों को जानकारी है कि वो एक महान रणनीतिकार तो थे ही, एक दूरदर्शी व्यक्ति भी थे

जनता से रिश्ता वेबडेसक | आचार्य चाणक्य के बारे में काफी लोगों को जानकारी है कि वो एक महान रणनीतिकार तो थे ही, एक दूरदर्शी व्यक्ति भी थे. उनके पास ज्ञान का असीम भंडार छिपा था, जो उन्होंने अपने ग्रंथ चाणक्य नीति में लिखा . उन्होंने इंसान के जीवन से संबंधित ऐसी-ऐसी बातें इस ग्रंथ में लिखी हैं जिनका अनुसरण अगर एक व्यक्ति कर ले तो उसके जीवन में कई सारे बदलाव देखे जा सकते हैं.

ये बदलाव उनके व्यक्तित्व को ही बदल कर रखने में सक्षम हैं. उनकी बातें लोक कल्याण के लिए होती हैं और उनकी कही गई बातों का जो भी पालन करता है वो अपने जीवन को सफल बना सकता है. आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के जीवन की कुछ ऐसी स्थितियों के बारे में बताया है जो अगर उनके जीवन में होती है तो उनकी किस्मत पूरी तरह से खराब हो सकती है.
आचार्य चाणक्य की मुख्य बातें-
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि, अगर किसी व्यक्ति की पत्नी जवानी में ही परलोक चली जाती है तो वो दूसरा विवाह करके अपना जीवन यापन कर सकता है, लेकिन अगर बुढ़ापे में पत्नी मर जाती है तो ये उसके दुर्भाग्य का कारण बनता है.
चाणक्य कहते हैं कि, अगर कोई भी पुरुष किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर रहता है तो उसका जीवन नर्क के जैसा हो जाता है. ऐसे व्यक्ति कभी भी अपनी पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर सकते. जो व्यक्ति हमेशा दूसरों पर ही निर्भर रहता है, ऐसे व्यक्ति की किस्मत हमेशा खराब मानी जाती है.
तीसरी बात पुरुष के विषय में वो कहते हैं कि, अगर कोई भी व्यक्ति रुपयों को व्यर्थ में ही खर्च कर रहा है तो वो उसके महत्व के बारे में नहीं जानता है. इस तरह के व्यक्ति स्वभाव से हमेशा झगड़ालू होते हैं और स्त्रियों को परेशान करते हैं. ऐसे लोगों का नाश बहुत ही जल्द हो जाता है और उन्हें इसका पता भी नहीं चलता.
चाणक्य के अनुसार, अगर किसी पुरुष का कमाया हुआ पैसा उसके दुश्मनों के हाथ में चला जाता है तो उस पर जैसे पहाड़ ही गिर पड़ता है और दोहरी मार पड़ती है. उसी का पैसा उसी के खिलाफ उसके दुश्मन इस्तेमाल करते हैं.
चाणक्य बताते हैं कि, मनुष्य के अंदर कुछ ऐसे भी गुण होते हैं जो स्वयं उत्पन्न होते हैं. जैसे दान करना, मीठी बातें करना, लोगों की सेवा करना, समय पर सही और गलत का फैसला लेना. इन चीजों को कहीं और से नहीं सीखा जा सकता.
जिसके मन में पाप समा गया हो वो बाहर से कितनी भी कोशिश कर ले कि वो साफ है लेकिन उसका मन वैसे का वैसा ही रहता है जैसे कि बर्तन में रखी शराब आग में झुलस जाने के बाद भी पवित्र नहीं होती.


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